पर्वतों और समुद्रों को लांघती
कितने ही धूल-कणों को समेटती
सागर की नमी सँभालती
ये पुरवा और पछुआ हवाएँ
कुछ कहने आती हैं
झंझोड़ देती हैं खिड़की दरवाजे
इन्हें बन्द करने में
कुछ थपेड़े चेहरे पर पड़ते हैं
फिर भी बन्द कर देते हैं खिड़कियाँ
किन्तु उन साँय सांय करती
हवाओं की आवाज
क्या चैन से बैठने देती है
थक कर शांत क्लांत हवा
या तो चुप हो जाती है
या दिशा बदल देती है
यह है हवा की बात
अब देखते हैं उन्हें
जिन्होंने दरवाजे बन्द किए
सन्नाटे को पाकर
झाँकती हुई आँखें
क्या आँधियों के अवशेष
धूल की परत फ़र्श पर नहीं देखती
नमी के छींटे से
खिड़कियों के परदे
क्या भीगे नहीं होते
अनकहा दर्द झलक ही जाता है|
परिवार में
किसी एक के जीवन में आई सुनांमी
सबको अस्त-व्यस्त कर देती है
यह अलग बात है
किसी से ममता मिलती है
किसी से सहानुभूति
कटाक्ष से भी बचना मुश्किल है
इसलिए प्रभु से जब भी माँगो
सबकी खुशियाँ माँगो
सब खुश रहेंगे
तभी हम भी खुश रहेंगे
सिर्फ अपना सुख कुछ नहीं होता
सबकी खुशी में ही
अपनी भी खुशी होती है|
ऋता शेखर ‘मधु’
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
जय माँ |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
सब खुश रहते है तभी चारो और खुशिया रहती है..
जवाब देंहटाएंनहीं तो किसी एक के दुःख से भी दुःख का माहौल बन जाता है..
इसलिए सभी के लिए खुशिया मागनी चाहिए..
सुन्दर भावपूर्ण रचना..
शुभकामनाएँ...
:-)
वसुधैव कुटुम्बकम की भावना ही श्रेष्ठ है जानो ... प्रार्थना में विश्व बंधुत्व की भावना रखो
जवाब देंहटाएंलाख टके की बात और उद्दात मानवीय गुणों की अवधारणा करती है आत्मसात .:)
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच कहा .....
जवाब देंहटाएंप्यारी सी नसीहत....सर माथे...
:-)
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर भाव ..... सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट बुधवार (24-10-2012) को चर्चा मंच पर । जरुर पधारें ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ ।
शुक्रिया प्रदीप जी!!
हटाएंनमी के छींटे से
जवाब देंहटाएंखिड़कियों के परदे
क्या भीगे नहीं होते
अनकहा दर्द झलक ही जाता है|
परिवार में
किसी एक के जीवन में आई सुनांमी
सबको अस्त-व्यस्त कर देती है
भीग गया मन
अर्थपूर्ण बात..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसिर्फ अपना सुख कुछ नहीं होता
जवाब देंहटाएंसबकी खुशी में ही
अपनी भी खुशी होती है|..बहुत सही कहा ..बहुत प्यारी नसीहत..ऋता..शुभकामनाएं
बढ़िया विचार ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
ati uttam vivhar
जवाब देंहटाएंसम्भवतः प्रथम बार आना हुआ है,
हटाएंआपका हार्दिक स्वागत है मधु जी !!
विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
क्या बात
सिर्फ अपना सुख कुछ नहीं होता
जवाब देंहटाएंसबकी खुशी में ही
अपनी भी खुशी होती है|
बिल्कुल सही कहा।
.
जवाब देंहटाएंஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
♥~*~विजयदशमी की हार्दिक बधाई~*~♥
ஜ▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●ஜ
सुंदर है कविता …
नमी के छींटे से
जवाब देंहटाएंखिड़कियों के परदे
क्या भीगे नहीं होते
अनकहा दर्द झलक ही जाता है|
गहराई का दर्द है !!
पोस्ट
चार दिन ज़िन्दगी के .........
बस यूँ ही चलते जाना है !!!