शनिवार, 11 मई 2013

माँ मुझे अपने आँचल में छुपा ले...




माँ, मैं तेरी बगिया की
कोमल सी इक फूलकली थी
मुझको सहलाती
मुझको दुलराती
अपने अँगना को तू महकाती
मेरी एक हंसी पर तू
क्षण क्षण न्योछावर हो जाती
मुझको अपने गले लगाकर
बिन कहे सब कुछ कह जाती
बहुत अकल तब नहीं थी मुझको
पर तेरा अनकहा विस्मित कर जाता
पकड़ के तेरी ऊँगली
डग डग भरती मैं शान से चलती
जब जब रिजल्ट आता था मेरा
सौ सौ बलाएँ तू लेती थी
मुझे बनाया दुल्हन जब
काला ढिठौना जड़ दी थी तू|

माँ, आज तू बिल्कुल बूढ़ी है
पर मुझको बच्ची सी लगती है
कुछ बातों पर रूठती
कुछ पर खिलखिल हंसती है
तुझको सहलाती
तुझको दुलराती
तेरी सेवा करती हुई
मैं तेरी माँ बन जाती हूँ|
जब भी तू जो खाना चाहे
उसे पकाती उसे खिलाती
मैं तेरी माँ बन जाती हूँ|
कभी अनजानी किसी भूलपर
तू रूठ के आँसू भर लेती है
तुझे मनाने को तत्पर
मैं तेरी माँ बन जाती हूँ|
अपनी ख्वाहिश तू कहती है
जब भी जाऊँ इस जग से
मुझको खूब सजाना तू
अब माँ तू बतला दे मुझको
तेरी माँ बनकर क्या मैं
काला ढिठौना लगा पाऊँगी?

एक तरफ बिटिया है मेरी
एक तरफ तू खड़ी है माँ
दोनो की ही माँ बनकर
क्या दोनों के होठों पर
मुस्कान के मोती जड़ पाऊँगी
माँ एक बात बतला दे मुझको
यह वक्त क्यूँ बदल जाता है माँ?

................ऋता शेखर मधु

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावमयी रचना...मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. बहुत सुंदर रचना

    लेकिन बात मां की हो तो मुनव्वर राना की दो लाइन जरूर पढने का मन होता है..

    ऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया।
    मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया।

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  3. मां की ममता भरी खुबसूरत अभिव्यक्ति ....मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

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  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1242 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  5. बहुत सुंदर भाव...... माँ शब्द में संसार छिपा है .....

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  6. सुन्दर रचना -बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

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  7. ब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  8. Maa Bhi Shyad ! Nhi Jaanti Ki Waqt Kaise Badal Jata Hai...

    Badhiya Likha Hai Aapne.
    Sadar

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  9. भावभरी , ह्रदयस्पर्शी ..अति सुन्दर .

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  10. माँ के हर रूप को ...
    सादर नमन
    अनुपम प्रस्‍तुति

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