शिव विवाह
विवाह की रस्म
बदन पर भस्म
सिर पर जटा
अलबेली छटा
दहकते भाल
कमर में छाल
सर्प का हार
बैल पर सवार
ऐसो सिंगार कियो शिव ने
परछावन को आह्लादित माता
जहरीली फुफकार पर
विस्फरित नयनों से
मूर्छित हुई जाती है|
बराती बन चले
भूत-बिच्छु-प्रेत
करें गज़ब का शोर
अज़ब बोल समेत
खड़काते करताल
डराते काल कपाल
विधि ने रच दियो विधान
देख सजावट ऐसो अनोखी
सोलह श्रृंगारित पार्वती
मुग्ध नयनों से निहार
सम्मोहित हुई जाती है|
..............ऋता शेखर ‘मधु’
विधि ने रच दियो विधान
जवाब देंहटाएंदेख सजावट ऐसो अनोखी
सोलह श्रृंगारित पार्वती
मुग्ध नयनों से निहार
सम्मोहित हुई जाती है|.. बहुत सुन्दर्...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (15-05-2013) के "आपके् लिंक आपके शब्द..." (चर्चा मंच-1245) पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर वर्णन ...
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन अभिव्यक्ति...
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