वैदेही को वापस पाने चले
श्रीराम सियाजी को लाने चले|
श्रीलंका में बैठी सीता
सब कुछ लगता रीता रीता
व्याकुल रघुपति बिन परिणीता
वैदेही को वापस पाने चले
श्रीराम सियाजी को लाने चले|
सिंधु को पुकारकर
वरुण को ललकार कर
धनुष को टंकारकर
वैदेही को वापस पाने चले
श्रीराम सियाजी को लाने चले|
करके भगवती का वंदन
अर्पित किए पद्म अरु चंदन
लेके संग अनुज रघुनंदन
वैदेही को वापस पाने चले
श्रीराम सियाजी को लाने चले|
शिव जी का पाकर आशीष
पुलकित हुए कोशलाधीश
लंकापति का उड़ाए शीश
वैदेही को वापस पा ही गए
श्रीराम सियाजी संग आ ही गए|
................ऋता
बेहतरीन,बहुत सुंदर गीत !
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
जय श्री राम....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना...
:-)
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
बहुत सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : रावण जलता नहीं
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .
इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-15/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -25 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
शुक्रिया राजीव जी !
हटाएंवाह बहुत खुबसूरत चित्रण
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अरुन !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शास्त्री सर !
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