तुम ही मेरे राम हो, तुम ही हो घनश्याम|
ओ मेरे अंतःकरण, तुम ही तीरथ धाम||
तुम ही मेरा काव्य हो, तुम ही मेरा ग्रन्थ
आलोचक बनकर सदा, सही दिखाते पन्थ||
ईश्वर के दरबार में झूठ कभी मत बोलो|
हो जाए गर भूल तो मन ही मन में तोलो|
दिल में अपने झाँक कर खुद से खुद को परखो,
करके पश्चाताप फिर मन की परतें खोलो|
साँवरे कान्हा श्याम, मनोहर कृष्ण मुरारी|
सांवरिया को देख, हृदय उनपर ही वारी|
सुन वंशी की तान, पुलकित राधिका प्यारी|
गिरधर की है मीत, लली वृषभानु कुमारी|
सोच रही हूँ सोन चिरैया फिर से वापस आएगी|
फुदक फुदक हर डाल डाल पर मीठे गीत सुनाएगी|
पर लगता है भूल वतन को,अभी तलक वह रूठी है।
संजीदा बन देख रही क्या वह वादोँ की झूठी है।।
जीवन वापस लौट चलो अब गाँव जहाँ हम खेल रहे थे|
पेंग भरा मनभावन झूलन आँगन में हम ठेल रहे थे||
भोर भई जब कोयलिया कुहकी तरु मंजर से जमता है|
डोल रही अब सांध्य घड़ी मन भी घनश्यामल में रमता है||
................ऋता
बहुत सुन्दर भाव ,सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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गणतन्त्रदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय भारत।
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और मनभावन प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंगर ईश्वर में है आस्था - तो झूठ मत बोलो
जवाब देंहटाएंकुछ भी कहने से पहले खुद को तौलो
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (26-01-2014) को "गणतन्त्र दिवस विशेष" (चर्चा मंच-1504) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
६५वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (26-01-2014) को "गणतन्त्र दिवस विशेष" (चर्चा मंच-1504) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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६५वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ६५वें गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता, सुंदर भाव लिये।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति …………भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हो तो पहले खुद को बदलो
जवाब देंहटाएंअपने धर्म ईमान की इक कसम लो
रिश्वत ना देने ना लेने की इक पहल करो
सारे जहान में छवि फिर बदल जायेगी
हिन्दुस्तान की तकदीर निखर जायेगी
किस्मत तुम्हारी भी संवर जायेगी
हर थाली में रोटी नज़र आएगी
हर मकान पर इक छत नज़र आएगी
बस इक पहल तुम स्वयं से करके तो देखो
जब हर चेहरे पर खुशियों का कँवल खिल जाएगा
हर आँगन सुरक्षित जब नज़र आएगा
बेटियों बहनों का सम्मान जब सुरक्षित हो जायेगा
फिर गणतंत्र दिवस वास्तव में मन जाएगा
अति सुन्दर |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएं:-)