१.
अरुण निशा के बीच दिवस का बीता जाए पल|
कुछ लम्हे हैं प्रीत के तो कुछ में भरे हैं छल|
शिलालेख सदा कहता है कैसा रहा अतीत,
कुछ अवसाद होते हैं ऐसे वक्त ही जिनका हल|
२.
सुगंध अनूठे लेकर डलिया में ऋतुराज हैं आए|
कलियों ने ज्यूँ घूँघटा पट खोला श्याम अलि इतराए|
रंगों की छिटकन दे दे कर भरता है रूप चितेरा
बौरा गई है कोयलिया जब से आम्रकुँज बौराए|
३.
इस जहाँ से जब हम नाता तोड़ जाएँगे|
इक नाम ही तो होगा जो छोड़ जाएँगे|
रखते नहीं शिकवा या शिकायतें किसी से,
हो सके तो रुख तूफ़ाँ का मोड़ जाएँगे|
४.
फूलों की डोली ले आया है बहार देखो|
बागों में पतझर का हो रहा श्रृंगार देखो|
गुँथ हैं चहुँ ओर चम्पई गेंदों के पुष्प हार,
माँ शारदे का महका है वंदनवार देखो|
५.
खिल रही हैं वाटिका मे अनगिनत कलियाँ|
गूँजे भँवरों के स्वर मँडरायी तितलियाँ|
खेत इतरा गए कर सरसो संग विहार,
नव कोंपलें बन गईं धरती का श्रृंगार !
६.
किस्मत वालों को ही मिलती हैं उम्र की ढलान|
आधियों में अडिग ही करते इसको अपने नाम|
दिन बीता घर लौट चलो कहती है सांध्य की लाली,
हुलस हुलस गऊएँ हैं दौड़ीं सूरज की किरणें थाम|
७.
सुबहो शाम कदमों गाड़ियों की रफ़्तार से|
थकी सड़क ये पूछती है बड़े मनुहार से|
पथिक, बता मेरी मंजिल कहीं है या नहीं,
या सदा बढ़ते रहेंगे कारवां कतार से|
८.
बिना ही भूल के उसने सजा पाई|
शिला बन ठोकरें भी राह में खाई|
अहिल्या को छले थे इन्द्र धोखे से,
वही क्यूँ शाप के फिर दंश में आई??
....................ऋता शेखर मधु
किस्मत वालों को ही मिलती हैं उम्र की ढलान|
जवाब देंहटाएंआधियों में अडिग ही करते इसको अपने नाम|
दिन बीता घर लौट चलो कहती है सांध्य की लाली,
हुलस हुलस गऊएँ हैं दौड़ीं सूरज की किरणें थाम|
बहुत खूब, सुन्दर !
सादर आभार!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (18-02-2014) को "अक्ल का बंद हुआ दरवाज़ा" (चर्चा मंच-1527) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर एवं तराशी हुई रचना !! शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएं३.
जवाब देंहटाएंइस जहाँ से जब हम नाता तोड़ जाएँगे|
इक नाम ही तो होगा जो छोड़ जाएँगे|
रखते नहीं शिकवा या शिकायतें किसी से,
हो सके तो रुख तूफ़ाँ का मोड़ जाएँगे|
sunder aapki lekhni voahi kaam kar rahi hai
badhai
bahan
बहुत ही सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंkhoobsurat rachna ..
जवाब देंहटाएंअहा! कितनी सुन्दर कविता दीदी, आज बड़े दिनों बाद ब्लॉग पढ़ रहा हूँ मैं ! :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहन और सुन्दर हैं सभी .... खासकर पहला वाला तो बहुत पसंद आया |
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