अनुरागी भँवरा करे, कड़े काष्ठ पर छेद
शतदल में कैदी बने, कैसा है यह भेद
कैसा है यह भेद, समझ नहिं पाता कोई
हुई बंसरी मौन, राधिका नैन भिगोई
अरुण उषा के संग, भोर की लाली जागी
पूनम की है रात, चकोर हुआ अनुरागी.....23
हिन्दी भाषा में उगी, कविताओं की पौध
सजे हुए हैं शाख पर, पन्त गुप्त हरिऔध
पन्त गुप्त हरिऔध, महादेवी जयशंकर
जायसी कालिदास, रहीम सुभद्रा दिनकर
तुलसी जी के राम, कृष्णलीला कालिन्दी
पा उन्नत साहित्य, फूलती फलती हिन्दी.......22
भादो शुक्ल चतुर्थ तिथि, आए गणपति आज|
कर जोड़ कर भक्त खड़े, पूरण कीजे काज||
पूरण कीजे काज, सद्विवेक हमें दीजे|
हम प्राणी नादान, विघ्न सारे हर लीजे||
एक दन्त शिवपुत्र, जहाँ से पाप मिटा दो|
कृष्ण अष्टमी तीज, संग लाया है भादो||...........21
कर जोड़ कर भक्त खड़े, पूरण कीजे काज||
पूरण कीजे काज, सद्विवेक हमें दीजे|
हम प्राणी नादान, विघ्न सारे हर लीजे||
एक दन्त शिवपुत्र, जहाँ से पाप मिटा दो|
कृष्ण अष्टमी तीज, संग लाया है भादो||...........21
कुसुमित सुष्मित पुष्प में, मधुरिम मधुरिम आस !
डाली डाली झूमती, ...........लेकर नव विश्वास !!
लेकर नव विश्वास, .............हँसे भारत के बच्चे !
होगा नव निर्माण, .............कहें ये मन के सच्चे !!
सच की होती जीत,.........कोंपलें होती पुलकित !
इन्द्रधनुष से पुष्प,.........ख़ुशी से होते कुसुमित !!....20
डाली डाली झूमती, ...........लेकर नव विश्वास !!
लेकर नव विश्वास, .............हँसे भारत के बच्चे !
होगा नव निर्माण, .............कहें ये मन के सच्चे !!
सच की होती जीत,.........कोंपलें होती पुलकित !
इन्द्रधनुष से पुष्प,.........ख़ुशी से होते कुसुमित !!....20
श्रावण ऋतु की धार में, है खुशियों का संसार,
महादेव को भा गए, विल्व पत्र के हार|
विल्व पत्र के हार, भाँग धतुरे की गोली,
सुनकर बम बम बोल, देव ने अँखियाँ खोलीं|
होता मधु कल्याण, भाव जब होता पावन,
हरियाली के साथ, झूमता गाता श्रावण|.......19
* ऋता शेखर मधु *
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद प्रतिभा जी !
हटाएंवाह ! मन मुग्ध हो गया पढ़कर !!
जवाब देंहटाएंआभार आपका करण समस्तीपूरी जी !
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शांति जी !
हटाएंआभार दिलबाग जी !
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंPLEASE VISIT@चन्दन सा बदन
श्रेष्ठ कुण्डलियाँ, पढ़कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसभी एक से बढ़कर एक हैं।
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