बुधवार, 22 जून 2016

पत्थर की खुशबू - लघुकथा



पत्थर की खुशबू-
''मैं नन बनना चाहती हूँ|'' नैन्सी ने ट्विट किया था|
यह पढ़ते ही थॉमस के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई|
मैनेजमेंट की पढ़ाई साथ साथ करते हुए नैन्सी का भावहीन चेहरा क्यों उसे आकर्षित करता था, वह नहीं समझ पाता|
''ओ गॉड, मैं उसे खोना नहीं चाहता|'' थॉमस बुदबुदाया| 
थॉमस ने नैन्सी को फोन करके अपने घर बुलाया| नैन्सी जाने से पहले अपने दोस्त को दुखी नहीं करना चाहती थी इसलिए वह तैयार हो गई|
घर में थॉमस ने उसका परिचय अपनी बहन जूली से करवाया| वह व्हील चेयर पर बैठी थी| थॉमस नाश्ता और कॉफी का इन्तेजाम करने बाहर चला गया| 
'' भाई हमेशा तुम्हारी बातें करता है नैन्सी| वह तुम्हें चाहता है पर कह नहीं पाता|''
'' नहीं, मैं नन बनना चाहती हूँ,'' नैन्सी एकाएक कठोर हो गई|
'' पर क्यों''
''मैं जब पाँच साल की थी तभी मेरे पिता मेरे लिए ढेर सारे खिलौने लाने का वादा करके विदेश चले गए| मुझे बड़ा करने के लिए माँ ने बहुत मेहनत किया| उनका छुपछुप कर आँसू बहाना मैं देख लेती थी| हमें आज भी उनका इन्तेजार बना रहता यदि मैं फेसबुक पर उन्हें न देख लेती| वे अपनी दूसरी पत्नी और बेटी के साथ बहुत खुश नजर आ रहे थे| मैं नफरत करती हूँ पुरुष जाति से...'' 
भावना का सैलाब उमड़ने ही वाला था कि एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया|
''जूली, माई बेबी, देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आया|''
''क्या पापा''
''लैपटॉप, अब मेरा बेबी सारी दुनिया से जुड़कर रहेगा| है न !''
जूली के चेहरे पर मुस्कान आ गई- ''पापा, यही नैन्सी है|''
जूली ने इस अंदाज से कहा जैसे उसके पापा जूली को अच्छी तरह से जानते हों|
''कैसे हो बेटी'' स्नेह से नैन्सी के सिर पर हाथ फेरते हुए वे बाहर चले गए|
''मैं भी जाती हूँ'' कहकर नैन्सी ज्योंहि जाने के लिए मुड़ी, जूली ने उसका हाथ थाम लिया| जाने कैसा आग्रह था उसकी नजरों में कि वह सामना नहीं कर पाई| धीरे से हाथ छुड़ाकर मंद चाल से बाहर चली गई|
आधे घंटे बाद नैन्सी ने ट्विटर पर लिखा,''पिता अपनी बेटियों से बहुत प्यार करते हैं|''
पत्थर की खुशबू महसूस करते ही जूली ने नैन्सी को विडियो चैट के लिए आमंत्रित किया|
विडियो चलाते ही सामने थॉमस खड़ा था कॉफी की मग लेकर|
''तुम कॉफी पिए बिना चली गई नैन्सी, यह तुमने अच्छा नहीं किया|''
नैन्सी के गुलाबी पड़ गए चेहरे को देखकर थॉमस और जूली, दोनों के चेहरे खिल गए|
--ऋता शेखर 'मधु'

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-06-2016) को "विहँसती है नवधरा" (चर्चा अंक-2383) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सिमित२ शब्दों में लिखी गयी एक भावनात्मक कहानी .. दी बहुत ही सुन्दर कहानी :) शुभ दोपहरी jsk

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