नाज करो कि तुम नारी हो
नाज करो कि सब पर भारी हो
नाज करो कि तुमसे संसार है
नाज करो कि धुरी के साथ हाशिया भी हो
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
तुम बया हो जो खूबसूरत नीड़ बुनती है
गर आंधियों में बिखर भी गए
तो सम्बल और धैर्य चुनती हो
दुआ तुम्हारी प्रभु भी स्वीकारते
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
तलवों के नीचे की जमीन
शुष्क रूखी कठोर हो
या फिर मखमली शीतल दूब हो
नमी के साथ उर्वर रखती अहसास
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
पहाड़ जैसी अडिग हो
गलत को गलत कहने के लिए
नदी जैसी निर्मल हो
निश्छलता से बहने के लिए
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
एक कर में नवजीवन रखती
दूजा कर सेवा को समर्पित
तीजे कर में ई गैजेट्स संभालती
चौथा कर कलम को अर्पित
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
मधुर स्वरों की मालकिन तुम
हर क्षेत्र तुम्हीं से सज्जित है
आखिर क्यों फिर आधी दुनिया
तुम्हारे जन्म से लज्जित है
इतनी अपूर्णता भी किसे मिलती है
नाज करो कि नारी हो
-ऋता
नाज करो कि सब पर भारी हो
नाज करो कि तुमसे संसार है
नाज करो कि धुरी के साथ हाशिया भी हो
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
तुम बया हो जो खूबसूरत नीड़ बुनती है
गर आंधियों में बिखर भी गए
तो सम्बल और धैर्य चुनती हो
दुआ तुम्हारी प्रभु भी स्वीकारते
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
तलवों के नीचे की जमीन
शुष्क रूखी कठोर हो
या फिर मखमली शीतल दूब हो
नमी के साथ उर्वर रखती अहसास
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
पहाड़ जैसी अडिग हो
गलत को गलत कहने के लिए
नदी जैसी निर्मल हो
निश्छलता से बहने के लिए
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
एक कर में नवजीवन रखती
दूजा कर सेवा को समर्पित
तीजे कर में ई गैजेट्स संभालती
चौथा कर कलम को अर्पित
इतनी संपूर्णता किसे मिलती है
मधुर स्वरों की मालकिन तुम
हर क्षेत्र तुम्हीं से सज्जित है
आखिर क्यों फिर आधी दुनिया
तुम्हारे जन्म से लज्जित है
इतनी अपूर्णता भी किसे मिलती है
नाज करो कि नारी हो
-ऋता
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्रतिज्ञा पूरी करने का अमर दिवस : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंAti Sunder
जवाब देंहटाएं