करना अगर है कुछ तुझे तो इन्क़िलाब कर
छोड़े जो छाप, उम्र को ऐसी किताब कर
कीमत बहुत है वक़्त की जेहन में तू बिठा
बेकार बात में न समय को ख़राब कर
ये ज़िंदगी तेरी है तेरी ही रहे सदा
शिद्दत से तू निग़ाह को अपनी रुआब कर
शब भर रहेगा चाँद सितारे भी जाएँगे
लम्हे बिताए जो यहाँ उनका हिसाब कर
मुस्कान से सजा रहे मुखड़ा तेरा सदा
कुछ देर के लिए तू ग़मों से हिजाब कर
-ऋता शेखर 'मधु'
छोड़े जो छाप, उम्र को ऐसी किताब कर
कीमत बहुत है वक़्त की जेहन में तू बिठा
बेकार बात में न समय को ख़राब कर
ये ज़िंदगी तेरी है तेरी ही रहे सदा
शिद्दत से तू निग़ाह को अपनी रुआब कर
शब भर रहेगा चाँद सितारे भी जाएँगे
लम्हे बिताए जो यहाँ उनका हिसाब कर
मुस्कान से सजा रहे मुखड़ा तेरा सदा
कुछ देर के लिए तू ग़मों से हिजाब कर
-ऋता शेखर 'मधु'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-03-2017) को "छोटी लाइन से बड़ी लाइन तक" (चर्चा अंक-2912) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गज़ब,
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपकी कलम को !
निमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/