बाल-गीत
मौसम गर्मी का है आया
सूरज छतरी से शरमाया
गुलमोहर की लाली देखो
उसमें तुम खुशहाली देखो
तरबूजों की शान निराली
शर्बत बनकर भरती प्याली
पीले पीले आम सुहाने
ठेलों पर आ गए रिझाने
हुई गुलाबी लीची रानी
पेटी में भर लाई नानी
छुट्टी में तुम पढ़ो कहानी
पीकर मीठा नरियल पानी
बच्चों मन को कर लो ताज़ा
खाओ सॉफ्टी पी लो माज़ा
ऋता शेखर मधु
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-06-2018) को "गढ़ता रोज कुम्हार" (चर्चा अंक-2997) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर बाल कविता
जवाब देंहटाएंप्यारी बाल कविता
जवाब देंहटाएंये बाल रचना कितनी न्यारी
जवाब देंहटाएंगर्मी भी लगती है प्यारी ...