रविवार, 12 मई 2019

मातृदिवस

कल माँ पर लिखा...आज एक माँ लिखेगी ।

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

लेखनी थामी जब हाथों में
वे ब्लॉग बनाकर खड़े रहे
ममा को तुक की कमी न हो
शब्दों के व्यूह में पड़े रहे
shabdvyuh.com

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

जिसे फ़िजूलखर्च कहते हम
जरूरत उसको बतलाते हैं
थ्री जी से हम खुश थे बन्धु
वे फाइव जी दिलवाते हैं

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

हम जब देखे चादर अपनी
ट्रेन टिकट कटवा लाए
उनको दिखती सुविधा माँ की
बुकिंग प्लेन में करवाये

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

देख मायूसी चेहरे पर
घण्टों घण्टों बतियाते हैं
सिर रख करके गोदी में
बच्चे बन हठियाते हैं

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

तबियत जब जब नासाज़ हुई
रसोई उन्हीं के हाथ हुई
आती बिटिया खाना लेकर
जैसे मेरी माँ साथ हुई

हम उनके दिलों में रहते हैं
इसको वे कहते नहीं
उनके काम बताते हैं

ईश्वर से विनती है इतनी
आशीषों के फूल बिछा देना
आँचल की छाँव रहेगी मेरी
तुम बस धूल हटा देना
उनके सतरंगी सपनों में
सुगन्धित पवन मिला देना
बच्चे माँ के धन दौलत हैं
उनपर रक्षा कवच चढ़ा देना
😍😍😘😘
© ऋता शेखर 'मधु'
#mothersday

5 टिप्‍पणियां:


  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (13-05-2019) को

    " परोपकार की शक्ति "(चर्चा अंक- 3334)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत सुन्दर¡¡
    बच्चों से ये जो दौलत मिल रही है.... हर दिन की छोटी छोटी सुविधाओं पर उनका ध्यान अगर माता पिता पर हो तो संस्कार गतिमान है पीढ़ी दर पीढ़ी।
    मेरे भाव मेरे भावों का सुंदर श्रृंगार।
    साधुवाद ।
    अप्रतिम रचना।

    जवाब देंहटाएं

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