शनिवार, 19 सितंबर 2020

हिन्दी पखवारा की रचना -1-दो का महत्व

हिन्दी पखवारा की रचना -1










दो का महत्व
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दोनों तट गर मिल जायें
नदिया बहेगी कैसे
अगर नहीं हों सुख दुःख
जीवन चलेगा कैसे
ओर छोर के बीच में
धागे का अस्तित्व है
पति पत्नी के मध्य मनु
अटका स्वामित्व है
दिन रात जो चलें न साथ
तिथि नहीं बदलेगी
तर्क वितर्क के बिना कहाँ
नवकली करवट लेगी
होते हैं धरती आकाश
सजीव तभी पलते हैं
पतझर को देख देख
बसन्त बाग में चलते हैं
दिल दिमाग जब साथ हों
भाव झर झर फूटें
रूठ जाए जो एक कभी
घर जाने कितने टूटें
जन्म मृत्यु का तथ्य पहचानें
दो का महत्व तभी हम जानें
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हिन्दी अंग्रेजी के बीच में
क्यों अंग्रेजी का वर्चस्व सहें
हिन्दी के अपने सारतत्व हैं
मिलकर हम सब महत्व गहें
हिन्दी बोलें अभिमान से
कलम चलाएँ बड़े शान से
भाषा को मर्यादित रख
खूब रचें अरमान से।
---ऋता
हमारी भाषा हमारा अभिमान
सभी हिन्दी प्रेमियों को हिन्दी पखवारा की हार्दिक शुभकामनाएं!!

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