सोमवार, 21 सितंबर 2020

हिन्दी पखवारा की रचना -3-ताँका


तांका
1
भोर का रूप
निखरी हुई धूप
माँ सी छुअन
चिड़ियों की चहक
गुलाबों की महक।
2
दीये की जिद
आँधियों से सामना
मद्धिम ज्योति
प्रकाश की कामना
लौ को सहेज रही
3
हरसिंगार
समर्पण की चाह
झरी पँखुरी
भर कर अँजुरी
शिव पूजन चली।
4
चली लेखनी
तलवार से तेज
शब्दों की धार
मोहक अनुस्वार
अनुनासिक चाँद|

कृष्ण बिछोह
प्रेम की परिभाषा
मौन राधिका
युग युग बदले
प्रीत नहीं बदली|
--ऋता शेखर 'म
धु'

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