सोमवार, 21 सितंबर 2020

हिन्दी पखवारा की रचना-२ हाइकु


बहुत दिनों बाद हाइकु
1


पचपन में
बचपन की लोरी
पोते- पोतियाँ।






2


लम्बी हैं राहें
दामन में सुमन
पग में छाले।






3


तरुणावस्था
सपनीले नयन
नभ का चाँद।





4


जेठ की धूप
सुर्ख गुलमोहर
नव उल्लास।





5


आयी बारिश
नभ और नयन
अंतर कहाँ।






6


हरी पत्तियाँ
गुलाबों की महक
घर अँगना।




7


विशाल वट
मूल मूल है कहाँ
जाँच एजेंसी।






8



उगी रोशनी
छुप रहा अँधेरा
हर्ष का गीत|



--ऋता शेखर 'मधु'

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