महिला दिवस की क्षणिकाएँ शुभकामनाओं के साथ 🌹🌹
1
जो तन मन से रहे
हरदम घर में रत
तभी तो संसार में
नाम पड़ा औ-रत।
2
चकरघिन्नी देखने को
इधर उधर न झाँको
दिख जाएगी घर में ही
नजर खोलकर ताको।
3
भोर की लालिमा में
पूजा का आलोक है
महिला के जाप में
गायत्री का श्लोक है।
4
छोड़ रहा छाप है
पाँव का आलता
बिछड़न का दुःख
बेटी को सालता।
5
महिला की महिमा
ईश्वर भी जानते
शक्ति के रूप में
दुर्गा को मानते।
6
जब जब पड़ा है
त्याग का काम
पुरुषों ने कर दिए
महिलाओं के नाम।
7
जिसके आँचल पर टिकी
इस सृष्टि की आशा
लिख सका है कौन
नारी की परिभाषा।
8
जिसके आँचल में बँधी
दो दो कुल की मर्यादा
माप सका न धीर कोई
राजा हो या प्यादा।
9
नारी को स्वीकार नहीं
बनना चरणों की रज
वक्त की पुकार पर वह
मुट्ठी में बाँध रही सूरज।
10
शीतल छाँव को खोजने
दुनिया सारी घूम आया
खुद को अज्ञानी समझा
जब आँचल माँ का पाया।
11
जिससे घर, घर लगता है
रखते उससे गिला
महिला को भी चाहिए
काम का सिला।
🙏🙏🌹🌹
ऋता शेखर 'मधु'
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंअन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत बहुत सुन्दर
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