मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

चैत्र माह-हिन्दू नवसंवत्सर-होली के संग


धरती को रंगों से भर दें
सबके माथे खुशियाँ जड़ दें
घोलो अब रंग

गुझियों की जो टाल लगाएँ
सबका मन मीठा करवाएँ
प्रीत भरा लेकर आलिंगन
शिकवे कोसों दूर भगाएँ
झूम जाएँ सारे हुरियार
पीसो अब भंग

आम्रकुंज में बौर जो महका
गूंज उठे कोयल के राग
समय न देखे उम्र न देखे
किलक उठे रंगीले फाग
देखो बोल रहा त्योहार
छू लो अब चंग

धरती पर जब उड़े गुलाल
हो जाता है अम्बर लाल
मस्त हुए हैं पवन झकोरे
झुक झुक जाती है डाल
भरकर अपनी पिचकारी
हो लो अब संग

भाव भरी सुन्दर बोली हो
सबके हिस्से शुभ होली हो
सजे रहेंगे रिश्ते प्यारे
गरिमा में हँसी ठिठोली हो
मिल जाएँ हाथों से हाथ
छोड़ो अब जंग

@ऋता शेखर 'मधु'

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2099...कभी पछुआ बहे तो कभी पुरवाई है... ) पर गुरुवार 15अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर भाव .. गुंझियों की टाल दिख रही मुझे तो ... :):)

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  3. भाव भरी सुन्दर बोली हो
    सबके हिस्से शुभ होली हो
    सजे रहेंगे रिश्ते प्यारे
    गरिमा में हँसी ठिठोली हो
    मिल जाएँ हाथों से हाथ
    छोड़ो अब जंग

    बहुत सुन्दर फाग के रंगों सी रंगीन मंगल कामनाओं के साथ उम्दा सृजन।
    वाह!!!

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  4. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-04-2021 को चर्चा – 4037 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  5. सुंदर भावों और खूबसूरत रंगों से सजी समसामयिक रचना ।समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी भ्रमण करें । आपका हार्दिक स्वागत है । सादर शुभकामनाएं ।

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  6. भाव भरी सुन्दर बोली हो
    सबके हिस्से शुभ होली हो
    सजे रहेंगे रिश्ते प्यारे
    गरिमा में हँसी ठिठोली हो
    मिल जाएँ हाथों से हाथ
    छोड़ो अब जंग
    आमीन...🙏

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  7. अद्वितीय । बहुत प्यारी रंगरेज़ रचना । भीज गया अंतरमन ।

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  8. भाव भरी सुन्दर बोली हो
    सबके हिस्से शुभ होली हो
    सजे रहेंगे रिश्ते प्यारे
    गरिमा में हँसी ठिठोली हो
    मिल जाएँ हाथों से हाथ
    छोड़ो अब जंग

    सुंदर रचना

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