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रविवार, 12 दिसंबर 2021
दोहे
दोहे
1.
सुदामा संग कृष्ण ने, खींचा ऐसा चित्र |
बिना बोले समझ सके, वह है सच्चा मित्र ||
2.
एक ही खान में रहें, कोयला- कोहिनूर |
एक जलकर राख हुआ, एक न खोए नूर ||
3.
भवसागर में जब कभी, मिल जाए मझधार |
हर मा़ँझी को चाहिए, हिम्मत की पतवार ||
4.
प्राची में हो लालिमा , खग चहके चहुँ ओर |
वेद ऋचाओं से भरे, वह सिन्दूरी भोर ||
5.
आँखों में सपने भरे, पंखों में विस्तार |
सबके मन को जीतकर, जाती खुद को हार ||
6.
होता है हर बात में , समझ- समझ का फेर |
समझ सके न प्रीत लखन | राम चख लिये बेर ||
7.
मन पूरा ब्रह्मांड है, मन है विस्तृत व्योम |
बस थोड़ा सा ध्यान हो, गूँज उठेगा ओम ||
8.
मन मंदिर में जब बसे, रघुनंदन श्रीराम |
सारी चिंता त्याग कर, मन पाता विश्राम ||
9.
अंतर-आत्मा से सदा, निकले सच्ची बात |
मिलावट है दिमाग में, करे घात-प्रतिघात ||
10.
कड़े दन्त से जो भ्रमर, करे काष्ठ में छेद|
शतदल में कैदी बने, कैसा है यह भेद ||
--ऋता शेखर 'मधु'
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बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे ....
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 13 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार आपका !
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंशुक्रिया !!
हटाएंसार्थक दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद !!
हटाएंबहुत ही खूबसूरत सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद !
हटाएंबहुत आभार दी !
जवाब देंहटाएंगुणों से भरपूर दीदी आपके दोहे भी ग़ज़ब❤️
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