ताँका........विश्व बाल श्रम दिवस पर-१२ जून
बालक रोया
बस्ता चाहिए उसे
है मजबूर
दिल किया पत्थर
बनाया मजदूर|१|
कोमल हाथ
चुभ गए थे काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो कचरे बिनें|२|
दिल के धनी
राजा औ' रंक बच्चे
देख लो फ़र्क
एक खरीदे जूता
पोलिश करे दूजा|३|
गार्गी की बार्बी
कमली ललचाई
माँ ने पुकारा
बिटिया, इधर आ
बर्तन मांज जरा|४|
कठोर दिल
कैसी माता है वह
काम की भूखी
बेटी को देती मैगी
कम्मो को रोटी सूखी|५|
........ऋता शेखर 'मधु'
बहुत बढ़िया ऋता दी.....
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक और सशक्त रचना...
सस्नेह
अनु
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट आज के (१२ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - शहीद रेक्स पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंअक्षरश: सार्थक है यह रचना ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना, समाज को झकझोरने वाली
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
हमारे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर। " ABP न्यूज : ये कैसा ब्रेकिंग न्यूज ! "
http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/abp.html
गार्गी की बार्बी
जवाब देंहटाएंकमली ललचाई
माँ ने पुकारा
बिटिया, इधर आ
बर्तन मांज जरा ..
कितने बचपन ऐसे ही वीरान हैं आज ... आज के दिन के लिए लिखे सार्थक तांका ...
कडवे सच को कहते तांका ॥ मार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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कोमल हाथ
जवाब देंहटाएंचुभ गए थे काँच
बहना रोई
भइया आँसू पोंछे
दोनो कचरे बिनें..
आभार एक अच्छे भाव सम्प्रेषण के लिए !!
आपकी यह प्रस्तुति कल चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सार्थक,बहुत सुंदर सशक्त प्रस्तुति,,,बधाई ,,
जवाब देंहटाएंrecent post : मैनें अपने कल को देखा,