यह हरिगीतिका समर्पित है उन वीर जवानों और उनकी परिणीताओं को जो देश की रक्षा के लिए विरह वेदना में तपते हैं...
दिल में बसा के प्रेम तेरा, हर घड़ी वह रह तके|
लाली अरुण या अस्त की हो, नैन उसके नहिं थके||
जब देश की सीमा पुकारे, दूर हो सरहद कहीं|
इतना समझ लो प्यार उसका, राह का बाधक नहीं||
तुम हो बहादुर, ओ सिपाही, याद उसकी ले चलो|
संबल वही है जिंदगी का, साथ में फूलो फलो||
आशा, कवच बन कर रहेगी, बात यह बांधो गिरह|
तुम लौट आना एक दिन तब, भूल जाएगी विरह|
फिर मांग में भर के सितारे, वह सजी तेरे लिए|
अर्पण करेगी प्रीत अपना, आँख में भर के दिए||
ले लो दुआएँ इस जहाँ की, भूल जाओ पीर को|
आबाद हो संसार तेरा, अंक भर लो हीर को||
....................ऋता शेखर 'मधु'
फिर मांग में भर के सितारे, वह सजी तेरे लिए|
जवाब देंहटाएंअर्पण करेगी प्रीत अपना, आँख में भर के दिए||
शानदार,उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )
फिर मांग में भर के सितारे, वह सजी तेरे लिए|
जवाब देंहटाएंअर्पण करेगी प्रीत अपना, आँख में भर के दिए||
शानदार,उम्दा प्रस्तुति,,,
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ओजपूर्ण. बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंबेहद कोमल अभिव्यक्ति....
सस्नेह
अनु
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंचरखा चर्चा चक्र चल, सूत्र कात उत्कृष्ट ।
पट झटपट तैयार कर, पलटे नित-प्रति पृष्ट ।
पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर ।
डालें शुभ शुभ दृष्ट, अनुग्रह करिए गुरुवर ।
अंतराल दो मास, गाँव में रहकर परखा ।
अतिशय कठिन प्रवास, पेश है चर्चा-चरखा ।
ओजपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा विषय चुन आपने और सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना..।
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए आभार...!
उन सभी बहादुरों को सलाम. सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआशा, कवच बन कर रहेगी, बात यह बांधो गिरह|
जवाब देंहटाएंतुम लौट आना एक दिन तब, भूल जाएगी विरह|..
छू गया दिल को ये हरिगीत ... सनिक देश क आन, बान, शान सब कुछ हैं ...