1.
स्वर्ग -अप्सरा
गुलमोहर चुन्नी
ओढ़ के आई ।
2
लाल सितारे
हरी चुनरी पर
लगते प्यारे ।
3
धरा की गोद
करते अठखेली
स्वर्ग के फूल ।
4
तपी धरती
लाल अँगार बना
गुलमोहर ।
5
लावण्य-भरा
अँखियों का सुकून
गुलमोहर ।
6
सर्पीली पत्ती
नरम मुलायम
अदा दिखाए ।
7
तपिश भूला
ताज़गी से झूमता
देता सन्देश ।
8
रब ने भेजा
स्वर्ग से गुलदस्ता
भेंटस्वरूप ।
9
गुलमोहर
सजा देता नैनों में
ख्वाब हसीन ।
10.
चुप्पी -दीवार
खड़ी हो गई ऊँची
लाँघी न जाए ।
11.
सनसनाते
बाहर के सन्नाटे
मन में शोर ।
12.
पानी की झड़ी
ताप से घबराया
पेड़ नहाया ।
13.
झूमी डालियाँ
धुल गईं पत्तियाँ
निखरी कली।
14.
मधुमालती
झूम के लहराई
सावन बनी।
15.
नन्ही गौरैया
पत्ते बने छतरी
दुबकी रही।
16.
पीत बैजंती
कन्हैया को रिझाए
रंग जमाए।
17
हरिया गईं
थकी माँदी पत्तियाँ
बजाएँ ताली।
18
दूब पे ओस
तलवों की ठंडक
नैनों की ज्योति।
19.
बिछती गई
दूब की हरियाली
बगिया हँसी।
20.
धैर्य की देवी
पाँव के नीचे दूब
दबती रही।
21.
नर्म हरित
गणपति को भाती
दूब कोमल।
22.
दूर तलक
दूब बनी चुनर
धरती सजी।
23.
जीवन -यात्रा
प्रेम, दया हैं साथी
पथ सुगम।
24.
यात्रा की धूप
जीवन को दे शान्ति
भक्ति की छाँव।
25.
जीवन यात्रा
जीवन कुरुक्षेत्र
कृष्ण, पार्थ मैं।
26.
दीये ये कच्चे
धुन के बड़े पक्के
बच्चों -से सच्चे |
27.
नेह का दीप
घृत हो विश्वास का
अखंड जला|
28.
चाक जो घूमा
सर्जक का सृजन
सुगढ़ दीप |
29.
मिलके रहे
दीप तेल वर्तिका
तभी लौ बने |
30.
चंदा को ढूँढ़े
दीपक की बारात
अमा की रात |
31.
गौरवशाली
दीवाली में भारत
सौरभशाली |
32.
कान्हा से प्रीत
जीवन में संगीत
जीने की राह।
33.
तप- साधना
तप ही आराधना
तप ही प्रेम।
34.
जीवन माया
भक्ति बनती छाया
क्यो भरमाया ?
35.
अधीर मन
प्रभु के चरणों में
पाता है धीर।
36.
फूलों को चुना
काँटे खुद ही मिले
भरा आँचल।
37.
व्यथा के पीछे
तैयार हो रही है
जीवन कथा।
38.
प्रेम की झोली
तपस्या फल भरे
जीवन पूर्ण।
39.
विरासत में
शुद्ध पर्यावरण
हमने पाया ।
40.
कारखानों ने
आधुनिक युग में
जाल फैलाया।
41.
सघन धुआँ
लुप्त वन्य-जीवन
रास न आया।
42.
कुछ न सोचा
पॉलिथिन जलाया
विष फैलाया।
43.
किरणें आईं
अल्ट्रावायलेट-सी
बूढ़ी है काया।
44.
हवा का धुआँ
फेफड़ों पर बड़ा
ज़ुल्म है ढाया।
45.
थका पथिक
पाए विश्राम कहाँ?
मिली न छाया।
46.
खाद ने छीना
फल-सब्जी का स्वाद
कोई क्या खाए।
47.
कटी है डाल
पपीहा या कोयल
कोई न गाए।
48.
जल अगाध
पीने योग्य है थोड़ा
करो न जाया।
49.
बाग उदास
जहरीली हवाएँ
उन्हें डराएँ।
50.
आई बहार
कोमल -सी कलियाँ
खिल न पाईं।
51.
कोमल दूब
जमीं है पथरीली
कैसे वो झाँके?
52.
मिट्टी की खुश्बू
जमे सिमेंट तले
सिसक रही।
सदा दमके
सिन्दूर सुहाग का
चन्द्र-दीप सा ।
54.
रहे सदा ही
जीवन सुवासित
पारिजात-सा ।
55.
सिन्दूरी आभा
सोहे मुख-मण्डल
नव- दुल्हन ।
56.
घर-आँगन
स्नेह-प्यार के दीप
जगमगाएँ ।
57.
शुभ्र धवल
शरद्- पूर्णिमा का ये
निकला चाँद ।
58.
दूध-चाँदनी
श्वेत कमल पर
थिरक उठी ।
59.
चन्दा को देखे
निर्निमेष चकोर
हो गई भोर। ३।
60.
शरद-पूनो
रुपहली किरणें
झिलमिलाईं ।
61.
पूनो की रात
मधुरिम सी आस
बनी है खास ।
62.
चाँद ने छेड़ी
मधुमय रागिनी
हँसी चाँदनी ।
63.
चाँद को देख
सागर भी मचला
मिलने चला।
64.
चाँदनी फैली
लहरों की वीणा से
संगीत फूटा ।
65.
चाँदनी रात
ले के हाथों में हाथ
करें क्या बात ।
66.
शरद पूर्णिमा
सोलह कला-युक्त
खिला है चन्द्र ।
67.
अमृत -वर्षा
चाँदनी की किरणें
धरा पर करें।
68.
मनभावन
शरद की पूनम
कृष्ण का रास ।
69.
नभ से बही
सागर में समाई
शुभ्र चाँदनी ।
70.
निकला चाँद
उजला उत्तरीय
नभ में फैला ।
.....ऋता
haiku ki rimjhim fuhar,,sabhi lajavab...behtarin..
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