बुधवार, 30 जुलाई 2014

मधुर गुंजन ब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ पर प्रस्तुति -- संज्ञा हूँ मैं


नारी हूँ मैं , संज्ञा हूँ मैं
जब जब लेखनी उठाती हूँ
तड़प उठती हूँ देखकर
समाज में फैली कुव्यवस्था
दर्द दुख द्वेष छल अत्याचार
व्यक्त करना चाहती हूँ
उन सभी के अंतस को
जो मौन रह सह जाते हैं वह भी
जो नहीं सहना चाहिए
उस वक्त मैं जातिवाचक हूँ

संज्ञा हूँ मैं
एक नागरिक की तरह
देशभक्ति के गीत लिखती हूँ
सरहद पर सैनिकों की
भावना व्यथा महसूस करती हूँ
प्रान्तीय झगड़ों में
निर्दोष रक्त-धार देखती हूँ
देश हित से अधिक
निज हित में लिप्त
इंसानों की कतार देखती हूँ
कर्तव्य से अधिक
अधिकार के नारे सुनती हूँ
अपने वतन के लिए स्थानवाचक हूँ

संज्ञा हूँ मैं
नारी के कई किरदार हूँ
उम्र के हर मोड़ पर
मेरी सोच, मेरे निर्णय पर
दूसरों के अधिकार हैं
टूटे सपनों के किरचें चुनती
मुस्कुराती रहती हूँ सबके लिए
आहत मर्म जब बनते मेघ
नयन सावन बन जाते हैं
चाहतों की कश्ती सजाती
शब्दों के साहिल पर
अनुभूतियों का भाववाचक हूँ

संज्ञा हूँ मैं
महीने भर की रसोई के लिए
सूचि बनाती हूँ
दूध धोबी के हिसाब लिखती हूँ
दुकानों में सेल देख ठिठकती हूँ
सब्जियों के मोलभाव करती
भिंडी टमाटर चुनती हूँ
‘जागो ग्राहक जागो’याद करके
खराब सामान वापस कर देती हूँ
बैंकिंग से ए टी एम तक
इन्कम टैक्स से लेकर रिटर्न तक
बखूबी लेखनी चलती है
तब खुद को द्रव्यवाचक पाती हूँ

संज्ञा हूँ मैं
नारी होने पर गर्व है
अपनी परम्पराएँ संस्कार
जी जान से निभाती हूँ
सहन शक्ति तो बला की है
पर नियम विरुद्ध चलने वालों को
अच्छा खासा पाठ भी पढ़ाती हूँ
किसी की हजार बातें सह लूँ
पर मान पर आघात करने वाले
असभ्य अपशब्द बिल्कुल नहीं
उस वक्त स्वाभिमानी बनी
व्यक्तिवाचक में ढल जाती हूँ
मैं पूर्ण संज्ञा बन जाती हूँ||

ऋता शेखर ‘मधु’

14 टिप्‍पणियां:

  1. सज्ञा के भेदो को बखूबी दर्शाया है आपने उदाहरण के साथ आदररणीय ऋता जी..।.बहुत सुंदर कविता..

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  2. बहुत बहुत बधाई

    एक उत्कृष्ट और सार्थक रचना, सतत लेखन की शुभकामनाएं

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  3. संज्ञा हूँ मैं
    नारी होने पर गर्व है
    अपनी परम्पराएँ संस्कार
    जी जान से निभाती हूँ
    सहन शक्ति तो बला की है
    पर नियम विरुद्ध चलने वालों को
    अच्छा खासा पाठ भी पढ़ाती हूँ
    .... संज्ञा होने की सशक्‍तता को सार्थक करती अभिव्‍यक्ति
    ब्‍लॉग की तृतीय वर्षगॉंठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ

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  4. पूर्ण संज्ञा होने की !
    उत्कृष्ट लेखन की !
    ब्लॉग के तीन वर्ष पूर्ण होने की
    बहुत बहुत बधाई !

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  5. ब्‍लॉग की तृतीय वर्षगॉंठ पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    ...हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  6. ब्‍लॉग की तृतीय वर्षगॉंठ पर बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    ...हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  7. संज्ञा के हर नारी रूप को बखूबी बयां किआ है रचना में | बहुत सुन्दर |
    नई पोस्ट माँ है धरती !

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  8. गजब ..नारी के हर रूप का उत्कृष्ट चित्रण किया आपने मधु जी

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  9. ब्‍लॉग की तृतीय वर्षगॉंठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ

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  10. bahut badhiya ji .....badhaiyan aapko blogging ke teen saal hone par :)

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  11. बहुत सुन्दर कविता दीदी ! बहुत सुन्दर !!!

    और ब्लॉग के तीसरे एनिवर्सरी के लिए बधाई :) :) :)

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  12. संज्ञा के हर भेद नारी पर आरोपित हो गए ।
    बहुत खूबसूरती से नारी के रोज़मर्रा के क्रियाकलापों को परिभाषित किया है ।
    सुंदर अभिव्यक्ति ।

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