समभाव से बाँट रहा, सूरज सबको धूप|
ऊर्जापोषित हम मनुज, खोलें मन का कूप||१०
ऊर्जापोषित हम मनुज, खोलें मन का कूप||१०
स्वर्ण रथ पर सूर्य पथिक, आया मेरे देश|
मंजर उत्साहित हुए, मुदित बने परिवेश||९
मंजर उत्साहित हुए, मुदित बने परिवेश||९
एक गेंद लुढ़का दिया, रवि ने भोरम भोर|
उसके पीछे चल दिए, मनु पंछी अरु ढोर||८
उसके पीछे चल दिए, मनु पंछी अरु ढोर||८
सूरज का रस्ता कभी, ना होता है जाम|
रुकावटों का सिलसिला, मानव में है आम||7
रुकावटों का सिलसिला, मानव में है आम||7
सिन्दूरी आँचल धरे, उषा हुई अहिवात|
जग है उसका मायका, नभ धरती पितु मात ||6
जग है उसका मायका, नभ धरती पितु मात ||6
बैजंती परिजात को , नहलाती है धूप|
श्रृंगारित शिव कृष्ण का, निखरा स्वर्गिक रूप||५
श्रृंगारित शिव कृष्ण का, निखरा स्वर्गिक रूप||५
खिल रही अपराजिता, खिल रहे हैं गुलाब|
रथ पर रखे स्वर्ण कलश, सूरज बना नवाब||४
रथ पर रखे स्वर्ण कलश, सूरज बना नवाब||४
उगती जाती रौशनी, नित प्राची की ओर|
तम पर पा लेती विजय, बिना मचाए शोर||३
तम पर पा लेती विजय, बिना मचाए शोर||३
सुबह सुनहरी रश्मियाँ, बनी चंद्रिका रात|
छुप कर रहती धूप में, शीतलता की बात||२
छुप कर रहती धूप में, शीतलता की बात||२
आया है परदेस से, सूरज अपने देश|
पश्चिम को भेजो जरा, गरिमा का संदेश||१
पश्चिम को भेजो जरा, गरिमा का संदेश||१
ऋता शेखर 'मधु'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 24 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...