कोरोना- कोई रोड पर ना निकले- लॉकडाउन १
युग बीता सदियाँ बीतीं, इतिहास गवाह है कि जब जब प्रकृति और जीवों पर अत्याचार और भ्रष्टाचार की अति हुई, विधि के विधान ने विनाश की लीला रची और जाने कितनी सभ्यताएँ काल के गर्त में समा गईं| रामायण काल, महाभारत काल, सिंधु घाटी की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, हड़प्पा मोहनजोदाड़ों आदि ने स्वयं को प्राचीन इतिहास में कैद कर लिया|
आज का युग अति आधुनिक युग है| दुनिया ने विकास में बहुत तेजी दिखाई और पिछले डेढ़ सौ वर्षों में अकल्पनीय अनुसंधान एवं आविष्कार हुए| विज्ञान ने मानव सभ्यता को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया| सागर से लेकर आकाश तक मानव ने अपना अधिकार जमा लिया| रेलवे और हवाई जहाज तो पुरानी बात हो गई| प्रकृति पर कहर बनकर टूटा गगनचुम्बी इमारतों का बनना, मेट्रों का आन्| इसके लिए जाने कितने वृक्ष काट डाले गये| धरती धीरे धीरे ग्लोबल वार्मिंग की शिकार होने लगी| वायु हो या जल, सब मानव के अति महात्वाकांक्षा का शिकार होकर प्रदूषित हो गए|
अब हम बात करते हैं विश्व में विकसित देश की श्रेणी में आने वाले देश चीन की| यह तो पहले से सुनते आए थे कि वहाँ के लोग कीड़े मकोड़े, साँप बिच्छू , चमगादर वगैरह सब कुछ खा जाते हैं| अभी चूँकि व्हाट्सएप का जमाना है तो अचानक उनके बहुत सारे विडियो आने लगे जिसमें वे यह सब खाते हुए दिख रहे थे| ऐसा इसलिये हो रहा था कि दुनिया में एक नए वायरस का पदार्पण हो चुका था जो साँप और चमगादर के मेल से बने एन्जाइम के कारण बनने लगे थे| इस वायरस ने सबसे पहले चीन को अपने गिरफ्त में ले लिया| इस सूक्ष्म वायरस का नाम कोरोना था और डॉक्टर्स की भाषा में COVID 19 कहा गया| दिसम्बर में चीन में जब कोरोना के कारण प्रथम मौत हुई तो इसे छिपा लिया गया| चीन के वुहान शहर में विश्व के अन्य देशों के लोग भी थे जो संक्रमित होने लगे| जब वे वापस अपने देश लौटे तो वहाँ भी इस वायरस ने अपने पाँव फेलाने शुरू कर दिये| देखते ही देखते इटली , स्पेन, इंग्लैंड प्रभावित हो गया|इस अदृष्य महामारी से बचने के लिये उन देशों में छुट्टियाँ घोषित कर दी गईं| किंतु जागरुकता की कमी से लोग छुट्टियों का आनंद मनाने के लिये पिकनिक मनाने लगे या इधर उधर यात्रा में संलग्न हो गये जिस कारण संक्रमण बढ़ने लगा और यह बीमारी बहुत बड़ी आबादी में फैल गई| यह संक्रमण वायु से नहीं लगता, लगता है स्पर्श से| संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से , उसे छूने से हाथ संक्रमित हो जाता है| फिर वह हाथ यदि चेहरे पर लगता है तो कान, मुँह या आँख के कोनों से शरीर के अन्दर पहुँच कर गले में अटक जाता है| संक्रमण के बाद लक्षण प्रकट होने में एक से चौदह दिन लगते हैं| यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है| प्रथम लक्षण के तौर पर बुखार आता है और खाँसी होती है|
भारत में प्रथम रोगी केरल में ३० जनवरी को पाया गया| वह विदेश से आया था, इसलिए यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस हवाई जहाज के जरिए ही भारत में आया है| उसके बाद धीरे धीरे संक्रमण की संख्या बढ़ने लगी तो भारत सरकार ने इसके निवारण हेतु नियम बनाए| अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा करके आने वालों की जाँच हवाई अड्डा पर की जाने लगी किंतु तबतक थोड़ी देर हो चुकी थी| संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी| विदेश से आने वालों को आरम्भ में आइसोलेशन के लिये कहा गया|करीब दस मार्च से उन्हें कावरंटाइन में भेजा गया| वे घर तब तक नहीं जा सकते थे जब तक दस दिन पूरे नहीं हो जाते| भारत में तबतक संक्रमित व्यक्तियों की संख्या सैकड़े में चली गई थी|
COVID 19 से सुरक्षा के दौरान जो शब्द बहुतायत से प्रयोग किये गए वह हैं --
१) कोरोना- वायरस का नाम
२) हैंडवाश- हर आधे घंटे बाद हाथों को साबुन से बीस सेकेंड तक धोना
३) सेनेटाइजर- एक ऐसा तरल जो हाथों से विषाणु को खत्म करने में सहायक होता है|
४) मास्क- मुँह को ढकने वाला खास बनावट का कपड़ा
५) सोशल डिस्टेंसिंग--समाज के लोगों से दूरी बनाकर रहना
६) आइसोलेशन- विदेश से आए लोगों को अपनी जिम्मेदारी पर चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना
७) क्वारंटाइन- विदेश से आए लोगों को किसी सरकारी संस्था की निगरानी में चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना
८) कोरोना टेस्ट किट- ऐसी प्रक्रिया जिससे संक्रमण की जाँच हो सके
९) कोरोना पॉजिटिव- जिनमें संक्रमण साबित हो गया हो
१०) कोरोना नेगेटिव- जिनमें संक्रमण नहीं हो
युग बीता सदियाँ बीतीं, इतिहास गवाह है कि जब जब प्रकृति और जीवों पर अत्याचार और भ्रष्टाचार की अति हुई, विधि के विधान ने विनाश की लीला रची और जाने कितनी सभ्यताएँ काल के गर्त में समा गईं| रामायण काल, महाभारत काल, सिंधु घाटी की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, हड़प्पा मोहनजोदाड़ों आदि ने स्वयं को प्राचीन इतिहास में कैद कर लिया|
आज का युग अति आधुनिक युग है| दुनिया ने विकास में बहुत तेजी दिखाई और पिछले डेढ़ सौ वर्षों में अकल्पनीय अनुसंधान एवं आविष्कार हुए| विज्ञान ने मानव सभ्यता को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया| सागर से लेकर आकाश तक मानव ने अपना अधिकार जमा लिया| रेलवे और हवाई जहाज तो पुरानी बात हो गई| प्रकृति पर कहर बनकर टूटा गगनचुम्बी इमारतों का बनना, मेट्रों का आन्| इसके लिए जाने कितने वृक्ष काट डाले गये| धरती धीरे धीरे ग्लोबल वार्मिंग की शिकार होने लगी| वायु हो या जल, सब मानव के अति महात्वाकांक्षा का शिकार होकर प्रदूषित हो गए|
अब हम बात करते हैं विश्व में विकसित देश की श्रेणी में आने वाले देश चीन की| यह तो पहले से सुनते आए थे कि वहाँ के लोग कीड़े मकोड़े, साँप बिच्छू , चमगादर वगैरह सब कुछ खा जाते हैं| अभी चूँकि व्हाट्सएप का जमाना है तो अचानक उनके बहुत सारे विडियो आने लगे जिसमें वे यह सब खाते हुए दिख रहे थे| ऐसा इसलिये हो रहा था कि दुनिया में एक नए वायरस का पदार्पण हो चुका था जो साँप और चमगादर के मेल से बने एन्जाइम के कारण बनने लगे थे| इस वायरस ने सबसे पहले चीन को अपने गिरफ्त में ले लिया| इस सूक्ष्म वायरस का नाम कोरोना था और डॉक्टर्स की भाषा में COVID 19 कहा गया| दिसम्बर में चीन में जब कोरोना के कारण प्रथम मौत हुई तो इसे छिपा लिया गया| चीन के वुहान शहर में विश्व के अन्य देशों के लोग भी थे जो संक्रमित होने लगे| जब वे वापस अपने देश लौटे तो वहाँ भी इस वायरस ने अपने पाँव फेलाने शुरू कर दिये| देखते ही देखते इटली , स्पेन, इंग्लैंड प्रभावित हो गया|इस अदृष्य महामारी से बचने के लिये उन देशों में छुट्टियाँ घोषित कर दी गईं| किंतु जागरुकता की कमी से लोग छुट्टियों का आनंद मनाने के लिये पिकनिक मनाने लगे या इधर उधर यात्रा में संलग्न हो गये जिस कारण संक्रमण बढ़ने लगा और यह बीमारी बहुत बड़ी आबादी में फैल गई| यह संक्रमण वायु से नहीं लगता, लगता है स्पर्श से| संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से , उसे छूने से हाथ संक्रमित हो जाता है| फिर वह हाथ यदि चेहरे पर लगता है तो कान, मुँह या आँख के कोनों से शरीर के अन्दर पहुँच कर गले में अटक जाता है| संक्रमण के बाद लक्षण प्रकट होने में एक से चौदह दिन लगते हैं| यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है| प्रथम लक्षण के तौर पर बुखार आता है और खाँसी होती है|
भारत में प्रथम रोगी केरल में ३० जनवरी को पाया गया| वह विदेश से आया था, इसलिए यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस हवाई जहाज के जरिए ही भारत में आया है| उसके बाद धीरे धीरे संक्रमण की संख्या बढ़ने लगी तो भारत सरकार ने इसके निवारण हेतु नियम बनाए| अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा करके आने वालों की जाँच हवाई अड्डा पर की जाने लगी किंतु तबतक थोड़ी देर हो चुकी थी| संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी| विदेश से आने वालों को आरम्भ में आइसोलेशन के लिये कहा गया|करीब दस मार्च से उन्हें कावरंटाइन में भेजा गया| वे घर तब तक नहीं जा सकते थे जब तक दस दिन पूरे नहीं हो जाते| भारत में तबतक संक्रमित व्यक्तियों की संख्या सैकड़े में चली गई थी|
COVID 19 से सुरक्षा के दौरान जो शब्द बहुतायत से प्रयोग किये गए वह हैं --
१) कोरोना- वायरस का नाम
२) हैंडवाश- हर आधे घंटे बाद हाथों को साबुन से बीस सेकेंड तक धोना
३) सेनेटाइजर- एक ऐसा तरल जो हाथों से विषाणु को खत्म करने में सहायक होता है|
४) मास्क- मुँह को ढकने वाला खास बनावट का कपड़ा
५) सोशल डिस्टेंसिंग--समाज के लोगों से दूरी बनाकर रहना
६) आइसोलेशन- विदेश से आए लोगों को अपनी जिम्मेदारी पर चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना
७) क्वारंटाइन- विदेश से आए लोगों को किसी सरकारी संस्था की निगरानी में चौदह दिनों तक समाज से कटकर रहना
८) कोरोना टेस्ट किट- ऐसी प्रक्रिया जिससे संक्रमण की जाँच हो सके
९) कोरोना पॉजिटिव- जिनमें संक्रमण साबित हो गया हो
१०) कोरोना नेगेटिव- जिनमें संक्रमण नहीं हो
११) इम्युनिटी- रोग निरोधक क्षमता बढ़ाना
अब देखते हैं कि भारत में कबसे पूरी तत्परता से बचाव के कदम उठाए गये|
अब देखते हैं कि भारत में कबसे पूरी तत्परता से बचाव के कदम उठाए गये|
19 मार्च को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की रात 8 बजे जनता से सीधी बात।
22 मार्च को कर्फ्यू घोषित किया गया। उसी दिन 5 बजे शाम को मोदी जी ने जनता से आग्रह किया कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के मोर्चे पर जूट डॉक्टर्स,नर्स, सफाई कर्मचारी, दैनिक सहायक एवम पुलिस का आभार प्रकट करने के लिए शाम 5 बजे देश के सारे लो एक साथ अपने घरों की बालकोनी, दरवाजे, खिड़की, छत पर खड़े होकर ताली, थाली, घंटी, शंख बजायें और उस दिन वह अद्भुत नजारा अविस्मरणीय बन गया। सरकार विरोधी तत्वों ने यहाँ भी खिलवाड़ कर दिया और समूह में इकठ्ठे होकर ताली थाली बजाने लगे।
अगले दिन अर्थात 23 मार्च को लोग सड़कों पर निकल पड़े। कोरोना जैसे जानलेवा वायरस के प्रति सामाजिक दूरी बरतने में लोगों की कोताही देख मोदी जी व्यथित हो गए। कई राज्यों ने उसी दिन लॉक डाउन कर दिया पर लोगों को बाहर निकलने से रोक न सके।
24 मार्च को पुनः जनता के सामने 8 बजे रु ब रु होकर प्रधानमंत्री महोदय ने रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा कर दी। रेल सेवायें बन्द की गईं। हवाई यात्रा पर रोक लग गई। पूरे देश से मोदी जी ने करबद्ध प्रार्थना की कि लोग घरों से न निकलें और कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने से रोकें।
चारों ओर किराना का सामान और सब्जियां लेने की होड़ लग गयी जैसे नोटबन्दी के समय नोट बदलने की होड़ लगी थी।
25 मार्च की सुबह वातावरण में पूर्ण शांति थी। चिड़ियों का चहकना सुनाई पड़ रहा था। घरों में बाइयों के प्रवेश पर भी पाबन्दी लगी। नतीजा....
तभी 26 मार्च एक अनहोनी हो गयी...दिल्ली में रहने वाले विभिन्न प्रदेशों के मजदूर वर्ग अचानक बस अड्डों पर जमा होने लगे। इस तरह की भीड़ देखकर सबकी रूह काँप गयी। एक दूसरे के पास खड़े लोग न जाने कितनों को बीमार करेंगे। सब अपने घरों को लौटना चाहते थे क्योंकि कहीं मकान का किराया समस्या बन गयी और कहीं खाने के सामान का अभाव था। ये दिहाड़ी मजदूर अचानक एक जगह कैसे इकठ्ठे हो गए यह सोचने का विषय है जिसपर यहाँ चर्चा करना उचित नहीं।
किसी तरह इस समस्या को निपटाया गया और उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
फिर तीन दिन थोड़ी शांति रही। संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई। किन्तु सब कुछ इतना आसान नहीं होता है। 31 को पता चला कि मरकज़ में हजार से ऊपर लोग छुपे हुए थे जिसमें दो सौ लोगों के करीब संक्रमित थे। अब कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने का खतरा बढ़ गया क्योंकि बाकी लोग भारतीय ही थे और अपने प्रदेश लौटकर जाने कितनों को संक्रमित करने वाले थे। सारे लोगों को क्वारंटाइन अर्थात निगरानी के तहत रखा गया है।
--ऋता शेखर मधु
अगली पोस्ट में इस वायरस से बचने के लिए कारगर उपाय, लॉकडाउन में घरों में क्या हो रहा और इस वायरस को लेकर तरह तरह के चुटकुले
22 मार्च को कर्फ्यू घोषित किया गया। उसी दिन 5 बजे शाम को मोदी जी ने जनता से आग्रह किया कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के मोर्चे पर जूट डॉक्टर्स,नर्स, सफाई कर्मचारी, दैनिक सहायक एवम पुलिस का आभार प्रकट करने के लिए शाम 5 बजे देश के सारे लो एक साथ अपने घरों की बालकोनी, दरवाजे, खिड़की, छत पर खड़े होकर ताली, थाली, घंटी, शंख बजायें और उस दिन वह अद्भुत नजारा अविस्मरणीय बन गया। सरकार विरोधी तत्वों ने यहाँ भी खिलवाड़ कर दिया और समूह में इकठ्ठे होकर ताली थाली बजाने लगे।
अगले दिन अर्थात 23 मार्च को लोग सड़कों पर निकल पड़े। कोरोना जैसे जानलेवा वायरस के प्रति सामाजिक दूरी बरतने में लोगों की कोताही देख मोदी जी व्यथित हो गए। कई राज्यों ने उसी दिन लॉक डाउन कर दिया पर लोगों को बाहर निकलने से रोक न सके।
24 मार्च को पुनः जनता के सामने 8 बजे रु ब रु होकर प्रधानमंत्री महोदय ने रात 12 बजे से 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा कर दी। रेल सेवायें बन्द की गईं। हवाई यात्रा पर रोक लग गई। पूरे देश से मोदी जी ने करबद्ध प्रार्थना की कि लोग घरों से न निकलें और कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने से रोकें।
चारों ओर किराना का सामान और सब्जियां लेने की होड़ लग गयी जैसे नोटबन्दी के समय नोट बदलने की होड़ लगी थी।
25 मार्च की सुबह वातावरण में पूर्ण शांति थी। चिड़ियों का चहकना सुनाई पड़ रहा था। घरों में बाइयों के प्रवेश पर भी पाबन्दी लगी। नतीजा....
तभी 26 मार्च एक अनहोनी हो गयी...दिल्ली में रहने वाले विभिन्न प्रदेशों के मजदूर वर्ग अचानक बस अड्डों पर जमा होने लगे। इस तरह की भीड़ देखकर सबकी रूह काँप गयी। एक दूसरे के पास खड़े लोग न जाने कितनों को बीमार करेंगे। सब अपने घरों को लौटना चाहते थे क्योंकि कहीं मकान का किराया समस्या बन गयी और कहीं खाने के सामान का अभाव था। ये दिहाड़ी मजदूर अचानक एक जगह कैसे इकठ्ठे हो गए यह सोचने का विषय है जिसपर यहाँ चर्चा करना उचित नहीं।
किसी तरह इस समस्या को निपटाया गया और उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
फिर तीन दिन थोड़ी शांति रही। संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई। किन्तु सब कुछ इतना आसान नहीं होता है। 31 को पता चला कि मरकज़ में हजार से ऊपर लोग छुपे हुए थे जिसमें दो सौ लोगों के करीब संक्रमित थे। अब कोरोना को थर्ड स्टेज पर जाने का खतरा बढ़ गया क्योंकि बाकी लोग भारतीय ही थे और अपने प्रदेश लौटकर जाने कितनों को संक्रमित करने वाले थे। सारे लोगों को क्वारंटाइन अर्थात निगरानी के तहत रखा गया है।
--ऋता शेखर मधु
अगली पोस्ट में इस वायरस से बचने के लिए कारगर उपाय, लॉकडाउन में घरों में क्या हो रहा और इस वायरस को लेकर तरह तरह के चुटकुले
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 02 अप्रैल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सार्थक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी।
श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
कोरोना से जुडी हर जानकारी !
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबचाव ही उपचार है
जवाब देंहटाएंसमसामयिक विषय पर सार्थक पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंजानकारी से परिपूर्ण सार्थक पोस्ट।
जवाब देंहटाएं