1
कोयलिया जब बोली
हिय में हूक उठी
उर ने परतें खोलीं।
2
उसकी शीतल बानी
पीर चुरा भागी
सूखा दृग से पानी।
3
पंछी गीत सुनाएँ
चार पहर दिन के
साज़ बजाते जाएँ ।
4
टिमटिम चमके तारे
रात सुहानी है
किलके बच्चे सारे ।
5
प्राची की अठखेली
नभ में रंग भरे
कूँची ये अलबेली।
6
सूरज पाँव पसारे
जाग गई धरती
खग बोले भिनसारे।
7
जीवन सफ़र सुहाना
गम या खुशियाँ हों
गाता जाय तराना।
8
जागो रे सब जागो
नव निर्माण करो
आलस को अब त्यागो।
बढ़िया माहिया गीत |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
सुंदर माहिया गीत !
जवाब देंहटाएंRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बहुत ही सुन्दर....
जवाब देंहटाएं:-)
सुंदर माहिया गीत.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
सुंदर गीत |
जवाब देंहटाएंआइये, कीजिये:- "झारखण्ड की सैर"
भावपूर्ण महिया ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आदरेया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा माहिये ... मज़ा आ गया ...
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जवाब देंहटाएंसुंदर
sundar..........behtareen...
जवाब देंहटाएंवाह सभी के सभी बढ़िया |
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