मंगलवार, 18 सितंबर 2012

हरितालिका तीज और गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं !!




हरितालिका तीज

 यह व्रत भाद्रपद मास की शुक्लपक्ष की तृतीया को किया जाता है|
सुहागिन स्त्रियाँ ही इस व्रत को करती हैं| इस व्रत में शंकर पार्वती
का पूजन करने का विधान है| सुहागिनें इस व्रत को बड़े उल्लास से
मनाती हैं| इस व्रत की कथा इस प्रकार है|
    एक बार पार्वती जी ने शिव जी का वरण करने के लिए
हिमालय पर्वत पर जाकर कठोर तपस्या आरम्भ की| उनकी तपस्या
को देख नारद मुनि ने जाकर उनके पिता हिमालय से कहा कि
भगवीन विष्णु उनकी कन्या से विवाह करना चाहते हैं| हिमालय ने
इस बात को सच माना और विवाह के लिए हामी भर दी| जब पार्वती जी
को यह बात पता चली तो उन्हें बहुत दुख हुआ| वह विलाप करने लगीं|
उनकी सहेली ने विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बताई
और शिव से विवाह करने का अपना संकल्प दोहराया| अपनी सखी की
सहायता से वह घोरवन में चली गईं और कठिन तपस्या करने लगीं|
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को बालू से शिवजी बनाकर पूजा अर्चना कीं| उनकी
तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने दर्शन दिया और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार
करने का वचन दिया| तभी हिमालयराज भी आ गए| उन्होंने भी पुत्री के
जिद को मान लिया और शिव से उनका विवाह करने के लिए तैयार हो गए|
चूंकि पार्वती जी को उनकी सखी हरण कर वन में ले गई थी इसलिए इस
व्रत का नाम हरित-आलिंक पड़ा जो अब हरितालिका व्रत के नाम से जाना जाता है|
उस दिन शिव जी ने यह भी वचन दिया कि भाद्र शुक्ल तृतीया को जो भी सुहागिन स्त्रियाँ इस व्रत को करेंगी उन्हें वे अखंड सौभाग्य का वरदान देंगे|
अतएव सुहागिन स्त्रियाँ इस व्रत का पालन अवश्य करती हैं|
मूलरूप से यह व्रत उत्तर भारत में प्रचलित है|

गणेश चतुर्थी

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है| इस दिन व्रत रखा जाता है| इस व्रत के करने से सभी प्रकार की बाधाएँ मिट जाती हैं|
इस व्रत की कथा इस प्रकार है-
एक बार भगवान शंकर हिमालय से भीमबली नामक स्थान पर गए|वहाँ पार्वती जी पहले से रह रही थीं| पार्वती जी ने वहाँ एक पुतला बनाकर उसे सजीव कर दिया था और उसका नाम गणेश रखा था| गणेश को उन्होंने गुफा के द्वार पर पहरे पर यह कहकर बिठा दिया था कि कोई अन्दर न आने पाए|
जब भगवान शंकर वहाँ पहुँचे तो गणेश ने उन्हें अन्दर जाने से रोक दिया क्योंकि वे उन्हें पहचानते नहीं थे| इसपर शंकर कुपित हो गए| उन्होंने गणेश का सिर काट दिया और अन्दर चले गए| उन्हें अन्दर देख पार्वती जी को आश्चर्य हुआ| उन्होंने शंकर जी से गणेश के बारे में पूछा| शंकर जी ने कहा कि वह बालक धृष्ट था इसलिए उन्होंने उसका सिर काट दिया| यह सुन पार्वती जी विलाप करने लगीं| उन्होंने शंकर जी को बताया कि गणेश उनके पुत्र थे|
शंकर जी चिन्ता में पड़ गए| संयोग से उसी वक्त एक हथिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया था| शंकर भगवान ने उसी बच्चे का सिर काट लिया और गणेश के सिर पर जोड़ दिया| गणेश जी का पुनर्जन्म हो गया| यह घटना भाद्र शुक्ल चतुर्थी की है| तभी से इस दिन को गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है|
                                                    
                                       ऋता शेखर मधु

14 टिप्‍पणियां:

  1. हरितालिका तीज और गणेश चतुर्थी पर विस्तृत जानकारी...बहुत बढ़िया.. ऋता ! बहुत बहुत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  2. कथाओं के माध्यम से अच्छी जानकारी मिली ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!हे भालचन्द्राय ! जिस तरह आप का ही रक्तवर्ण को प्राप्त करते हुए
    सूर्यनारायण अपनी उदय से लेकर अस्त की यात्रा करते कर्मयोगी हे
    हे वक्रतुण्डाय ! जिस तरह आपका उपहास करनेवाले चन्द्र देव भी
    आप की उद्धारकलीला में आप के शरण में विभूति का वरदानयोग्य हे
    हे वरदमूर्ति विघ्नहर्ता ...आप हमारे भी विघ्न दूर करते पधारो जी।

    विघ्नहर्ता आप हम सब के कष्टों का निबारण करें .

    हे रब किसी से छीन कर मुझको ख़ुशी न दे
    जो दूसरों को बख्शी को बो जिंदगी न दे

    तन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
    प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया

    चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
    प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो

    मेरी अर्ध्य है प्रभु आपसे प्रभु शक्ति ऐसी दीजिये
    मुझे त्याग करूणा प्रेम और मात्रं भक्ति दीजिये

    तेरा नाम सुमिरन मुख करे कानों से सुनता रहूँ
    करने को समर्पित पुष्प मैं हाथों से चुनता रहूँ

    जब तलक सांसें हैं मेरी ,तेरा दर्श मैं पाता रहूँ
    ऐसी कृपा कुछ कीजिये तेरे द्वार मैं आता रहूँ

    जवाब देंहटाएं
  4. आज तीज के दिन आपसे कथा सुनकर अच्छा लगा ऋता जी.....
    लगा आप साक्षात् सुना रही हों...
    आपको तीज और गणेशोत्सव की अनेकों शुभकामनाएं.
    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी जानकारी दी है..
    आपको तीज और गणेश चतुर्थी की ढेरों शुभकामनाये..
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  6. तीज और गणेश चतुर्थी की कथाओं के माध्यम अच्छी जानकारी देने के आभार,,,
    गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं,,,,,

    .RECENT P0ST फिर मिलने का

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी जानकारी....दोनों पर्वों की हार्दिक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. कई लोग इस जानकारी से अनभिज्ञ होते हैं,अच्छा किया कि इतनी सुगमता से बताया

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर कथाएं हैं दोनों ... अच्छा किया इनको सभी तक पहुंचा के ...
    गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  10. अरे वाह बहुत सुंदर तरीके से इन त्योहारों की कथा बताई है ऋता जी.

    गणेश चतुर्थी की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  11. आपकी पोस्ट के बहाने मैं भी जान गयी त्योहारों को मनाने का कारण, जो वास्तव में हमें जानना जरूरी है .........!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!