सावन का बूँदों से अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है| प्रस्तुत है .......
बूँदें...
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आसमान की नई कहानी
धरती पर ले आतीं बूँदें
तपी ग्रीष्म में भाप बनीं वो
फिर बादल बन जाती बूँदें
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आसमान की नई कहानी
धरती पर ले आतीं बूँदें
तपी ग्रीष्म में भाप बनीं वो
फिर बादल बन जाती बूँदें
श्वेत श्याम भूरे लहंगे
इधर उधर इतराती बूँदें
सखी सहेली बनकर रहतीं
आपस में बतियाती बूँदें
इधर उधर इतराती बूँदें
सखी सहेली बनकर रहतीं
आपस में बतियाती बूँदें
नई नई टोली जब जुटती
अपना बोझ बढाती बूँदें
थक जातीं जब बोझिल होकर
नभ में टिक ना पातीं बूँदें
अपना बोझ बढाती बूँदें
थक जातीं जब बोझिल होकर
नभ में टिक ना पातीं बूँदें
ताल तलैया पोखर भरतीं
कागज़ नाव तिराती बूँदें
रिमझिम रिमझिम बारिश करके
बच्चों संग नहाती बूँदें
कागज़ नाव तिराती बूँदें
रिमझिम रिमझिम बारिश करके
बच्चों संग नहाती बूँदें
सुन मल्हार राग आ जातीं
कजरी गीत सुनाती बूँदें
झूले पेंगें हरियाली में
गोरी के मन भाती बूँदें
कजरी गीत सुनाती बूँदें
झूले पेंगें हरियाली में
गोरी के मन भाती बूँदें
तृषित धरा की सोंधी खुशबू
गिरकर खूब उड़ाती बूँदें
विकल व्यथित वीरान हृदय में
आँसू बन बस जाती बूँदें
गिरकर खूब उड़ाती बूँदें
विकल व्यथित वीरान हृदय में
आँसू बन बस जाती बूँदें
गंगा की पावन लहरों में
गोद भराई पाती बूँदें
लहरों पर इठलाती गातीं
सागर में मिल जाती बूँदें
गोद भराई पाती बूँदें
लहरों पर इठलाती गातीं
सागर में मिल जाती बूँदें
ऊपर उठतीं नीचे गिरतीं
सिंधु में जा समाती बूँदेंं
स्वाति को सीप का साथ मिले
मोती बन रम जाती बूँदें
सिंधु में जा समाती बूँदेंं
स्वाति को सीप का साथ मिले
मोती बन रम जाती बूँदें
आती बूँदें जाती बूँदें
जीवन को कह जाती बूँदें
या तो लहरों में खो जाती
या मोती बन जाती बूँदे
*ऋता शेखर 'मधु'*
जीवन को कह जाती बूँदें
या तो लहरों में खो जाती
या मोती बन जाती बूँदे
*ऋता शेखर 'मधु'*
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-08-2015) को "मेरा प्यार है मेरा वतन" (चर्चा अंक-2069) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
स्वतन्त्रतादिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
आती बूँदें जाती बूँदें
जवाब देंहटाएंजीवन को कह जाती बूँदें
या तो लहरों में खो जाती
या मोती बन जाती बूँदे.
सुंदर प्रस्तुति ऋता जी.
कितना सुन्दर लिखा है दीदी! लवली!!
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