वीरों को नमन...
हँसते हँसते देश पर, जो होते कुर्बान
भारत को आज भी, उनपर है अभिमान
शोकाकुल सरिता थमी, थमे पवन के पाँव
गम में डूबा है नगर, ठिठक रही है छाँव
लोहित होता है गगन, सिसक रहे हैं प्राण
इधर बजी है शोक धुन, उधर मचलते बाण
होती है खामोश जब, चूड़ी की झनकार
विधवा सूनी माथ पर, लिखती है ललकार
सिर से साया उठ गया, छूट गया है साथ
आज सलामी दे रहे, नन्हे नन्हे हाथ
लिखें शहीद समर सफर, परिणीता के नाम
पग पग पर हैं ठोकरें, लेना खुद को थाम
वीर पिता की राख से, कहतीं मन की बात
हम भारत की बेटियाँ, देंगे अरि को मात
आततायियों से कहो, कब तक रहें विनीत
भरना है हुँकार अब, निभा युद्ध की रीत
--ऋता शेखर 'मधु'
करुणा और ओज से भरी अच्छी रचना .
जवाब देंहटाएंसादर स्वागत है गिरिजा जी !
हटाएंमार्मिक ...भारत की बेटियां ही कुछ कर दिखाएंगी .
जवाब देंहटाएंमार्मिक
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब!
जवाब देंहटाएं