युग
का दास
“ये लीजिए जजमान सामान की लिस्ट| प्राणी की अत्मा को
तभी शान्ति मिलेगी जब ये सारी वस्तुएँ दान करेंगे| दान की गई सारी वस्तुएँ सीधे
स्वर्ग जाएँगी जहाँ आपके पिता इनका उपयोग करेंगे,” पंडित जी ने हरीश बाबू को लिस्ट
थमाया|
पलंग , टीवी, कूलर, रसोई के ब्रांडेड बर्तन , पूरे
साल भर का अनाज, स्वर्ण के विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा और
भी बहुत कुछ था लिस्ट में|
“तब तो इन्हें ले जाने के लिए ट्रक की व्यवस्था भी करनी
होगी|”
“आप जजमान लोग गंभीर बातों को नहीं समझते| युगों से चली
आ रही परम्परा को कोई नहीं बदल सकता|” पंडित जी ने कहा|
कैंसर की असाध्य बीमारी से जूझ रहे पिता के इलाज में ही
लाखों रुपये खर्च हो चुके थे| अब तक ऋणों के बोझ से दबे हरीश बाबू सोच में डूबे
थे|
माँ सबकुछ देख सुन रही थीं| उन्होंने पंडित जी से कहा,
“पंडित जी, मेरे श्रवण कुमार पुत्र द्वारा मुझे जो भी सुख सुविधाएँ दी जाएँगी वह
सीधे स्वर्ग में उसके पिता के पास पहुँचेंगी क्योंकि मैं उनकी अर्धांगिनी हूँ| आप
सिर्फ श्राद्धकर्म करवाएँ , आपको यथोचित पारिश्रमिक मिल जाएगा| युगों से चली आ रही
परम्परा बदलना भी हमारा ही काम है|”
“नालायक जजमान,” बुदबुदाते हुए पंडित जी निकल गए|
--ऋता शेखर ‘मधु’
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (06-09-2016) को "आदिदेव कर दीजिए बेड़ा भव से पार"; चर्चा मंच 2457 पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन को नमन।
शिक्षक दिवस और गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'मृत्युंजय योद्धा को नमन और ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
जवाब देंहटाएं