मंगलवार, 15 नवंबर 2016

हैप्पी बर्थडे - लघुकथा

हैप्पी बर्थडे
‘आज माँ को क्या हो गया है’, पत्नी शिप्रा ने आते ही अभिनव से कहा|
“क्या किया माँ ने”, अभिनव सोचते हुए बोला|
“माँ ने मिठाई मँगवाई है और सजधज कर बैठी हैं|”
“देखता हूँ,” कहकर अभिनव माँ के कमरे की ओर गया|
अन्दर से कुछ आवाज आ रही थी| अभिनव बाहर ही रुककर सुनने लगा|
“अभिनव के पापा, याद है न वह गाना जो तुम अक्सर गाया करते थे....
मैं जब हूँगा साठ साल का और तुम होगी पचपन की...
...बोलो प्रीत निभाओगी न|
देखो जी, आज मैं पचपन की हो गई मगर तुम साठ के न हो सके|
मुझे देखो, बुढ़ापा चेहरे पर आने लगा है किन्तु तुम तो अब भी युवा दिखते हो|
तुम्हें साठ की देखने की मेरी ख्वाहिश पूरी न हो सकी|...अच्छा छोड़ो ये बातें, मिठाई खाओ|’’
इसके बाद माँ के हँसने की आवाज आई|
मात्र पाँच साल की उम्र में अपने पिता को खो चुका अभिनव कमरे में घुसकर
अपने पिता की उसी युवा तस्वीर देखते हुए आँखें पोंछ रहा था जिससे  माँ बातें कर रही थी|
‘हैप्पी बर्थडे माँ’’, कहते हुए उसने माँ के प्लेट से मिठाई उठाकर खा ली|
ऋता शेखर ‘मधु’

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