चाँदनी की बात
कल रात चाँदनी से
मुलाकात हो गई
कुछ उसने कहा
कुछ मैंने कहा
ढेरों बात हो गई|
कुछ उसने सुना
कुछ मैंने सुना
बातें साफ़ हो गईं|
वह भी तो छुप जाती
अमावस की रात में
फिर खिलखिलाती
पूनम के साथ में
ज़िन्दगी को चाँद समझो
खुद को समझो चाँदनी
तुम्हे भी छुपना होगा
गमों की काली रात में
फिर खिलखिलाना भी होगा
मिल बसंत के साथ में
यही चाँद की नियति है
यही जीवन का धूप-छाँव
फिर इससे क्या घबड़ाना
बस,समय के साथ चलते जाना|
ऋता शेखर ‘मधु’
कल रात चाँदनी से
जवाब देंहटाएंमुलाकात हो गई
कुछ उसने कहा कुछ मैंने कहा
ढेरों बात हो गई|
कुछ उसने सुना कुछ मैंने सुना
बातें साफ़ हो गईं|
खुबशुरत पंक्तियाँ
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सुंदर मोहक रचना के लिए मधु जी बहुत२ बधाई.....
काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
ज़िन्दगी को चाँद समझो
जवाब देंहटाएंखुद को समझो चाँदनी
तुम्हे भी छुपना होगा
गमों की काली रात में
फिर खिलखिलाना भी होगा
मिल बसंत के साथ में
प्रभावी भाव.....जीवन जीने की सच्ची सीख लिए पंक्तियाँ.....
तुम्हे भी छुपना होगा
जवाब देंहटाएंगमों की काली रात में
फिर खिलखिलाना भी होगा
मिल बसंत के साथ में
बहुत सुंदर भाव .... सार्थक संदेश देती रचना
कल रात चाँदनी से
जवाब देंहटाएंमुलाकात हो गई
कुछ उसने कहा कुछ मैंने कहा
ढेरों बात हो गई ...
चाँद से मुलाक़ात ... याने जीवन से मुलाक़ात ... और फिर बातों का सिलसिला कहाँ खत्म होता है ... लाजवाब रचना ..
ज़िन्दगी को चाँद समझो
जवाब देंहटाएंखुद को समझो चाँदनी
तुम्हे भी छुपना होगा
गमों की काली रात में
फिर खिलखिलाना भी होगा
मिल बसंत के साथ में
ati sundar
सकारात्मक संदेश देती बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंचांदनी में भिगो दिया आपने,
जवाब देंहटाएंइससे ज्यादा कविता पढ़कर क्या कहें।
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..की-बोर्ड वाली औरतें।
मूस जी मुस्टंडा...
बहुत खूबसूरत ...
जवाब देंहटाएंजीवन धूप छाव ही तो है...
यही चाँद की नियति है
जवाब देंहटाएंयही जीवन का धूप-छाँव
फिर इससे क्या घबड़ाना
बस,समय के साथ चलते जाना|
चलना तो है ही चलते जाना है वो बात अलग है कभी वक़्त साथ देता है ,कभी नहीं।
सादर
सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना:-)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है दीदी :)
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी को चाँद समझो
जवाब देंहटाएंखुद को समझो चाँदनी
तुम्हे भी छुपना होगा
गमों की काली रात में
फिर खिलखिलाना भी होगा
मिल बसंत के साथ में
सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति !
यही चाँद की नियति है
जवाब देंहटाएंयही जीवन का धूप.छाँव
जीवन भी अमावस और पूनम का खेल है।
बहुत अच्छी कविता।