वाणी और कलम
वाणी मुखर है
पर खामोश है
कलम बोलती नहीं
पर वाचाल है
कई कई बातें ऐसी
कह नहीं पाते
कलम भावों की स्याही से
बयान करती है
दर्द बह जाते हैं आँखों से
वाणी कह नहीं पाती
उन बूँदों को समाकर
कलम दरिया बहाती है
विरोध मन में हो
स्वर फूट नहीं पाते
उस तपिश को सहकर
कलम अगन रेखा बनाती है
आँधियाँ आ जाएँ
वाणी टिक नहीं पाती
थरथराती लौ को
कलम स्थिर बनाती है
भावों का अतिरेक हो
हिचकियाँ आ जाती हैं
कलम ग्लास बन जाती
पानी पिलाती है
एकांत होता है मरणासन्न
कलम औषधि बन जाती
जीवन- संचार करती है
सपनों के पंख होते हैं
वाणी पकड़ नहीं पाती
उन पंखो को लेकर
कलम नर्तन कराती है
मुहब्बत व्यक्त न हो पाए
कलम की रस-फुहारें
धड़कन बढ़ाती हैं
मुहब्बत व्यक्त न हो पाए
कलम की रस-फुहारें
धड़कन बढ़ाती हैं
वाणी एक कम्पन है
हवा में तिरोहित हो जाती
कलम उस स्पंदन को
शाश्वत साकार बनाती है|
ऋता शेखर ‘मधु’
वाणी एक कम्पन है
जवाब देंहटाएंहवा में तिरोहित हो जाती
कलम उस स्पंदन को
शाश्वत साकार बनाती है|
अच्छी पंक्तियाँ,..खूबशूरत रचना,....
जो भाव होठों के जरिये लरज नहीं पाते!
जवाब देंहटाएंवो कलम के जरिये पन्नों पे उतर जातें !!
बहुत सुन्दर रचना !
आभार !
कलम वाचाल है ... कितनी सही बात कही है ..सुंदर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंकलम भी कई बार रुक जाती है ... पर रुक कर भी मरहम लगाती है
जवाब देंहटाएंवाणी मुखर है
जवाब देंहटाएंपर खामोश है
कलम बोलती नहीं
पर वाचाल है
बहुत खूब ।
बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंआभार !
गहन अभिव्यक्ति..... सरल शब्दों में गहरी बात
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!बहुत अच्छी अभिव्यक्ति,सराहनीय प्रस्तुति,..
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
आपकी बेमिशाल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपर शब्द नहीं मिल रहे मुझे
कुछ भी कहने के लिए.
आभार..आभार..बस आभार आपका.
वाणी और कलम का सार्थक सामजस्य स्थापित किया है ... दोनों का महत्त्व है ...
जवाब देंहटाएं