माता तुम निर्माता हो
राष्ट्र की भाग्य विधाता हो
कई भीषण पलों से लड़ी हो तुम
फिर क्यूँ मौन खड़ी हो तुम
आगे बढ़ सँभाल लो
पतन गर्त में जाते नौनिहालों को
माना वे बच्चे नहीं रहे
पर मोहताज हैं मार्गदर्शन को
अपनी चुप्पी तोड़ो तुम माता
तुम्हीं हो संस्कारों की दाता|
नई हवा है, नई लहर है
नए जमाने के कई कहर हैं
तुम्हें बनना ही होगा प्रहरी
बात है यह थोड़ी सी गहरी
अपमानो की करो न परवा
ममता का आँचल न समेटो
भले ही हठी हैं वे
पर ममता की छाँव
अभी भी उन्हें रिझाती है
लू के थपेड़े खाते हैं
वह छाँव उन्हें तब भाती है
मातृ-गर्भ है बड़ी पाठशाला
अष्टावक्र को ज्ञानी बना डाला
भक्त प्रह्लाद ने भक्ति सीखी
हिरण्यकशिपु को लगी यह तीखी
अभिमन्यु ने सीखा चक्रव्यूह का राज
शिवाजी की माता थीं ज्ञानी
पुत्र के आगे वीरता बखानी
नौनिहाल ने इतिहास रच दिया
कण-कण माँ का ऋणी हो गया
माता, अपने अदम्य साहस का
अपनी पर्वतीय धीरता का
अपने आकाशीय विस्तार का
परिचय तो दो
राष्ट्र का नव निर्माण करो
आगे बढ़ो, आगे बढ़ो|
ऋता शेखर ‘मधु’
अपने आकाशीय विस्तार का
जवाब देंहटाएंपरिचय तो दो
राष्ट्र का नव निर्माण करो
आगे बढ़ो, आगे बढ़ो|
लाजबाब अभिव्यक्ति ......
MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...
आभार |
जवाब देंहटाएंप्रभावी प्रस्तुति ||
बहुत सुंदर प्रस्तुति .... माताओं को ही निर्माण करना है ...
जवाब देंहटाएंसृष्टि तुम प्रकृति तुम सौन्दर्य तुम परिवर्तन तुम
जवाब देंहटाएंतुम ही विद्या तुम्हीं हो लक्ष्मी और साहसी दुर्गा तुम
तुम हो सपना तुम्हीं हकीकत जीवन का हर स्रोत हो तुम ...
कल 012/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह: ऋता.!.माता की महिमा अपार...लाजबाब अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंमाता, अपने अदम्य साहस का
जवाब देंहटाएंअपनी पर्वतीय धीरता का
अपने आकाशीय विस्तार का
परिचय तो दो
राष्ट्र का नव निर्माण करो
आगे बढ़ो, आगे बढ़ो|
प्रभावित करती रचना
maataa par uttm rachanaa
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