लफ्जों में प्रीत पालकर उनको निहाल कर
दुखती हुई रगों से कभी ना सवाल कर
मिलती रही हैं मुश्किलें जीवन की राह में
हँसते हुए पलों को रखो तुम सँभाल कर
माना तेरी हर बात पर मुझको रहा यकीं
अब जिंदगी से पूछकर तू ना बवाल कर
कहती रही हैं कुछ तो ये अमराइयाँ हमें
उनको गज़ल में ढालकर तू भी कमाल कर
जो वक्त आज बीत गया अब वो अतीत है
क्या फायदा मिलेगा उसे ही उछाल कर
-ऋता शेखर 'मधु'
दुखती हुई रगों से कभी ना सवाल कर
मिलती रही हैं मुश्किलें जीवन की राह में
हँसते हुए पलों को रखो तुम सँभाल कर
माना तेरी हर बात पर मुझको रहा यकीं
अब जिंदगी से पूछकर तू ना बवाल कर
कहती रही हैं कुछ तो ये अमराइयाँ हमें
उनको गज़ल में ढालकर तू भी कमाल कर
जो वक्त आज बीत गया अब वो अतीत है
क्या फायदा मिलेगा उसे ही उछाल कर
-ऋता शेखर 'मधु'
बहुत खूब ऋता जी .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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