पिता की कोख
सासू माँ के आने से तेजस खुश था| उसकी गर्भवती पत्नी मृणाल का ख्याल रखने के लिए अब कोई तो था घर में| जबसे उसे मृणाल की प्रेगनेंसी का पता चला था वह उसे घर में बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था| उसकी माँ नहीं थी तो उसने खुद सासू माँ को फोन करके बुलाया था|
"मृणाल, भारी मत उठाना| मृणाल, ऑफिस से लौटते हुए क्या लाऊँ खाने के लिए| मृणाल, तुम्हें अच्छी अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए| मृणाल, सुबह उठो तो सबसे पहले बाल गोपाल के कैलेंडर की ओर देखना| मृणाल, खूब खुश रहा करो| मृणाल , मम्मी से पूछकर लाभ वाले फल खाना,"तेजस की हिदायतें जारी थीं|
"उफ, अब बस भी करो तेजस, तुम ऑफिस जाओ|"
"अच्छा बाबा, जाता हूँ", कहकर तेजस गुनगुनाता हुआ चला गया|
''माँ, आपने देखा न, कितनी हिदायतें देते हैं तेजस," मृणाल माँ से बातें करने लगी|
'' बेटा, बच्चा माँ की कोख में रहता है और एक कोख पिता के पास भी होती है|'
'पिता की कोख', मृणाल समझ नहीं पाई|
"हाँ, पिता की कोख उसका मस्तिष्क है जहाँ से वह भी बच्चे को उतना ही महसूस कर रहा है जितना की तुम| वहीं से गर्भ में पल रहे के लिये अहसास ,सपने, परवाह और जिम्मेदारी जन्म लेती है," माँ ने मुस्कुराते हुए कहा|
'' ये है पिता की अनदेखी ममता...' सोचती हुई मृणाल शाम का बेसब्री से इन्तेजार करने लगी|
--ऋता शेखर 'मधु'
सासू माँ के आने से तेजस खुश था| उसकी गर्भवती पत्नी मृणाल का ख्याल रखने के लिए अब कोई तो था घर में| जबसे उसे मृणाल की प्रेगनेंसी का पता चला था वह उसे घर में बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ना चाहता था| उसकी माँ नहीं थी तो उसने खुद सासू माँ को फोन करके बुलाया था|
"मृणाल, भारी मत उठाना| मृणाल, ऑफिस से लौटते हुए क्या लाऊँ खाने के लिए| मृणाल, तुम्हें अच्छी अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए| मृणाल, सुबह उठो तो सबसे पहले बाल गोपाल के कैलेंडर की ओर देखना| मृणाल, खूब खुश रहा करो| मृणाल , मम्मी से पूछकर लाभ वाले फल खाना,"तेजस की हिदायतें जारी थीं|
"उफ, अब बस भी करो तेजस, तुम ऑफिस जाओ|"
"अच्छा बाबा, जाता हूँ", कहकर तेजस गुनगुनाता हुआ चला गया|
''माँ, आपने देखा न, कितनी हिदायतें देते हैं तेजस," मृणाल माँ से बातें करने लगी|
'' बेटा, बच्चा माँ की कोख में रहता है और एक कोख पिता के पास भी होती है|'
'पिता की कोख', मृणाल समझ नहीं पाई|
"हाँ, पिता की कोख उसका मस्तिष्क है जहाँ से वह भी बच्चे को उतना ही महसूस कर रहा है जितना की तुम| वहीं से गर्भ में पल रहे के लिये अहसास ,सपने, परवाह और जिम्मेदारी जन्म लेती है," माँ ने मुस्कुराते हुए कहा|
'' ये है पिता की अनदेखी ममता...' सोचती हुई मृणाल शाम का बेसब्री से इन्तेजार करने लगी|
--ऋता शेखर 'मधु'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!