शनिवार, 5 अगस्त 2017

गठबंधन-लघुकथा

गठबंधन

''दो विरोधी पार्टियों का गठबंधन, चुनाव में दोनो नजर आएँगे साथ साथ''
समाचार पत्र के मुखपृष्ठ पर छपे समाचार से पूरे राज्य में सनसनी फैल गई|
लाला जी की पत्नी ने ज्योंहि यह पढ़ा , पति के पास सच्चाई जानने पहुँच गईं|
लाला जी चाय का प्याला हाथ में लिए मंद मंद मुसकुरा रहे थे| पत्नी के हाथ में समाचारपत्र देखा तो जोर से हँस पड़े|
''जैसे कि आसार थे, इस बार आपकी पार्टी न जीतती| गठबंधन से अवश्य लाभ पहुँचेगा| मगर आपने यह चमत्कार किया कैसे|'' पत्नी की जिज्ञासा चरम सीमा पर थी |
''कल मैंने गोप जी को बुलाया था| बातचीत की| किन्तु वे अपने सिद्धांतों से समझौता करने को तैयार न थे|''
''फिर'' पत्नी अपलक लाला जी को देख रही थी|
''फिर क्या, मैंने एक तस्वीर की ओर इशारा किया जिसे कुछ देर देखने के बाद उन्होंने हामी भर दी|"
''कौन सी तस्वीर'' पत्नी ने चारो ओर दीवारों को ताक लिया जहाँ कई तस्वीरें लगी थीं|''
''वो वाली'' लाला जी ने एक तस्वीर की ओर इशारा किया|
पत्नी ने देखा, चित्र में दुश्मन समझे जाने वाले दो जन्तु,एक कुत्ता और एक बिल्ली मुस्कुरा कर एक दूसरे को देख रहे थे|
-ऋता शेखर 'मधु'

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (06-08-2017) को "जीवन में है मित्रता, पावन और पवित्र" (चर्चा अंक 2688 पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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