सबकी अपनी राम कहानी
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जितने जन उतनी ही बानी
सबकी अपनी राम कहानी
ऊपर ऊपर हँसी खिली है
अंदर में मायूस गली है
किसको बोले कैसे बोले
अँखियों में अपनापन तोले
सबकी अपनी राम कहानी
ऊपर ऊपर हँसी खिली है
अंदर में मायूस गली है
किसको बोले कैसे बोले
अँखियों में अपनापन तोले
पाकर के बोली प्रेम भरी
आँखों में भर जाता पानी
मन का मौसम बड़ा निराला
पतझर में रहता मतवाला
दिखे चाँदनी कड़ी धूप में
झेले शूलों को पुष्प रूप में
जीत हार से परे हृदय में
भावों की है सतत रवानी
यही कोशिश हो कुछ न टूटे
आस बीज से कोंपल फूटे
भाव सरल हो जब निज मन का
सफ़र सुहाना हो जीवन का
जो सहता है वह पाता है
अनुभव की वह अकथ निशानी
सागर-घट की कथा पुरानी
बाहर पानी भीतर पानी
ज्यों ही टूटा ये घट तन का
मिलन हुआ ईश्वर से मन का
राधा कह लो मीरा कह लो
प्रीत गीत की हुईं दीवानी
जितने जन उतनी ही बानी
सबकी अपनी राम कहानी
--ऋता शेखर 'मधु'
20/06/19
श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्थी
वि0 सं0 २०७४
आँखों में भर जाता पानी
मन का मौसम बड़ा निराला
पतझर में रहता मतवाला
दिखे चाँदनी कड़ी धूप में
झेले शूलों को पुष्प रूप में
जीत हार से परे हृदय में
भावों की है सतत रवानी
यही कोशिश हो कुछ न टूटे
आस बीज से कोंपल फूटे
भाव सरल हो जब निज मन का
सफ़र सुहाना हो जीवन का
जो सहता है वह पाता है
अनुभव की वह अकथ निशानी
सागर-घट की कथा पुरानी
बाहर पानी भीतर पानी
ज्यों ही टूटा ये घट तन का
मिलन हुआ ईश्वर से मन का
राधा कह लो मीरा कह लो
प्रीत गीत की हुईं दीवानी
जितने जन उतनी ही बानी
सबकी अपनी राम कहानी
--ऋता शेखर 'मधु'
20/06/19
श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्थी
वि0 सं0 २०७४
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-07-2019) को "बाकी बची अब मेजबानी है" (चर्चा अंक- 3405) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ऊपर ऊपर हँसी खिली है
जवाब देंहटाएंअंदर में मायूस गली है
किसको बोले कैसे बोले
अँखियों में अपनापन तोले
पाकर के बोली प्रेम भरी
आँखों में भर जाता पानी
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर अप्रतिम...
लाजवाब।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंघट में जल,
और
जल में घट।
पट में चित,
और
चित में पट।
भ्रम-नगरी
का
यहीं चित्रपट!
वाह
जवाब देंहटाएं