रविवार, 2 जनवरी 2022

प्यार दो---प्यार लो...नव वर्ष पोस्ट



ग्रुप आइकन का चित्रांकन-आराधना मिश्रा


हमारा व्हाट्सऐप पर तीन वर्षों से चल रहा एक समूह है...
नाम है "गाएँ गुनगुनाएँ शौक से"
संस्थापक हैं जानी पहचानी ब्लॉगर अर्चना चावजी
२०२१ के दिसम्बर महीने में मेरा मन हुआ कि सभी गुणवान सुरीली सखियों पर दोहे लिखूँ|
मैं हर दिन एक दोहा लिखती और सबको बूझना होता था कि किसके लिए दोहा लिखा गया| मजे की बात यह कि सारी सखियाँ हर दोहे में फिट बैठती थीं...फिर भी कुछ अलग खासियत सभी में होती...जो व्यक्ति विशेष को खास पहचान देती है| उसी एक गुण के आधार पर समझना होता था| हमने सबके लिए दोहे लिखे...और मुझे भी सबकी ओर से वह अभिव्यक्ति मिली जिसमें मैं सराबोर...सखियों के प्रेम में डूबी रही|

पहले पढ़ें...वह दोहे जो मैंने लिखे|

दोहा1. प्रिय शुचि मिश्रा के लिए
पावन उसका नाम है, है सुन्दर  संस्कार।
चंचल चंचल हैं नयन, जिसपर आये प्यार।।💐💐

दोहा 2. प्रिय रश्मि कुच्छल जी के लिए
मन रमता अध्यात्म में, मन में बसते श्याम।
भोर किरण सी छा गयी, पाकर के पैगाम।।

दोहा 3. प्रिय संध्या शर्मा जी के लिए
जिसके गानों से लगे, कोयल का आभास।
जिसके शब्दों में बँधे, अवनि संग आकाश।

दोहा 4.प्रिय शिखा वार्ष्णेय जी के लिए-
आँखों में सपने भरे, पंखों में विस्तार।
फिर भी है कुछ अनकहा, क्यों वह जाती हार।।

दोहा 5. प्रिय वंदना अवस्थी जी- साधना दी की जोड़ी के लिए-
दोनों एक दूसरे की जानम-जानेमन-
इक दूजे की जान हैं, ऐसा होता भान।
शब्द-सुरों के मेल से, टपके उनका ज्ञान।।

 दोहा 6. प्रिय शोभना चौरे दी-गिरिजा दी के लिए-
साथ साथ हम घूमते, जिनके सारा गाँव।
अनसुने हैं गीत नवल, झूमे सबके पाँव।

दोहा 8. प्रिय संगीता अष्ठाना जी के लिए-
वह सुरीली एक सखी, ब्लॉग समय से खास।।
समझा हमने दर्द को, समझा था अहसास।।

दोहा 7. प्रिय आराधना मिश्रा के लिए-
तन्मयता की सीख में, रहता सदा धमाल।
पाठ-पूजा चाय कड़क, करते मालामाल।।

दोहा 9. प्रिय अर्चना चावजी के लिए
जीवन झंझावात में, धीरज अटल प्रबुद्ध ।
ढल जाते हैं श्लोक में, जाने कितने बुद्ध।।
गढ़ते हैं सबके लिए, सदा नए आयाम।
दो पंक्ति में बँधे नहीं, उनके अनगिन काम ।।

दोहा 10 प्रिय निरुपमा चौहान जी के लिए-
गाएँ या गाएँ नहीं, टिप्पणी मजेदार।
प्यार के संग डांट का , गुण भी अपरम्पार।।

दोहा 11.प्रिय रचना बजाज जी के लिए-
गहरी सी आवाज पर, ठहरे मोहक गीत।
भजन श्लोक शालीनता,खूब निभाये रीत।।

दोहा 12. प्रिय अंजू गुप्ता जी के लिए
लेखन गहरे प्यार का, सदा खोलता पोल।
स्वयं प्यार से हैं भरी, बाँट रहीं दिल खोल।।

दोहा 13. प्रिय पूजा साधवानी जी के लिए-
बोली है या है शहद, हो कैसे पहचान।
संयोजन का गुण बड़ा, कुटुम्बकम  अरमान।।

दोहा 14- प्रिय वंदना अवस्थी दूबे जी के लिए-
फर-फर चलती लेखनी, गजलों की सिरमौर।
लीक पर वह चलें नहीं, हो कोई भी  दौर।।

दोहा 15. प्रिय घुघुती वासुती(शशि जी) जी के लिए-
उमड़ घुमड़ कर मिल रहा, उनका पंछी प्रेम ।
घर से बाहर तक दिखे, उनके सुन्दर नेम।।

दोहा 16. प्रिय प्रियंका गुप्ता जी के लिए-
जापानी गुड़िया लगे, बोली में बिंदास।
 हाइकु या हो लघुकथा, मन में उतरे खास।।

दोहा 17. प्रिय रश्मिप्रभा दी के लिए-
मीलों तक है फैलता, आँचल का विस्तार।
सोख रहा है अश्रु कण, सुनकर करुण पुकार।।
कृष्ण पार्थ की हर व्यथा, लेखन का आधार ।
भाव सरल सद्भाव के , शब्दों के नव हार।।

दोहा 18. प्रिय उषा किरण दी के लिए-
शतदल मुरझाए नहीं, रहता है यह ध्यान।
रूठे जब कोई कभी, लौटता ससम्मान ।।
उत्कृष्ट भाव से सजे, शब्द रहे या रेख।
सरल सहज मुस्कान में, वह सुन्दर आलेख।।

दोहा 19. प्रिय सुनिति बैस जी के लिए-
गुलशन में बादे सबा, गुल पर सुन्दर रंग।
गजलों में वह सज रहे, भाव वज्न के संग।|

दोहा 20. प्रिय मंजुला पाण्डेय जी के लिए-
माहिर उनकी हर विधा, संस्कृत उनकी खास।
काव्यपाठ है कर्णप्रिय, चमक नाम के पास।

दोहा 21. प्रिय इस्मत जी के लिए-
यहाँ दूज का चाँद हैं, गजलों से पहचान।
किस्मत से मिलता रहा, यदा कदा  ही गान ।।

दोहा 22. प्रिय सोनिया जी के लिए-
प्यारा प्यारा गान है, प्यारी सी मुस्कान।
सात समंदर पार से, कर देतीं हैरान।।

दोहा 23. प्रिय शोभना चौरे दी के लिए-
नीम आम सौगान से, है अमीर सा गाँव।
वहाँ वृहद विस्तार में, वह बरगद की छाँव।।
भजन पूजन पाक कला, या हो चंचल गान।
उनके आने से लगे, आया यहाँ विहान।।

दोहा 24. प्रिय गिरिजा कुलश्रेष्ठ दी के लिए- 
उनकी बाल कहानियाँ, जैसे परी उड़ान।
ऐसा खींचे चित्र वह, आ जाती मुस्कान।।
डिप्लोमेटिक वह नहीं, बोलें सच्ची बात।
खुशकिस्मत साहित्य है, पाकर के सौगात ।।

 दोहा 25. प्रिय साधना वैद दी के लिए-
यात्रा उनकी है बड़ी, वियतनाम के देश।
काव्यपाठ या छंद हो, है पूजा परिवेश।।
ऊर्जा की वह स्रोत हैं, हैं समूह की जान।
टास्क में हो गीत सदा, होते यह अरमान।।
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वह स्नेह जो मुझे मिला

मधु सी मीठी वाणी और 
समग्र सुधा सी बरसें
जब जब रचें नव बैन
सिद्धहस्त, मृदुभाषी, 
मन विभोर कर देतीं
हंसते कंवल से नैन
== संगीता अष्ठाना जी
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(1) वेद की ऋचाएं कहूँ तुम्हें या फिर कहूँ कोई राग
पूरित क्रियाकलापों में आपके,, बिखरा हो जैसे पराग

(2) "ऋता शेखर मधु"में समायें 
ऋता सी, शेखर में सम्भाले शिव का सम्पूर्ण
तो मधु में बिखेर मधुरस अपना 
डुबा ले जातीं सबको नशा सा करा साहित्य का
कि खड़े हैं मन्त्र मुग्ध से सभी
मद्य पान कर मधु से बने उन दोहों का
एक तरफ तो मधु से करा रहीं वो शहद का भान
वहीं दूसरी ओर लगता, जैसे किया हो कोई.... मद्यपान
== अंजू गुप्ता जी (तितली)...
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अब तक वो करती रही, सखियों का गुणगान!
अब सखियों की बारी है, उनका करें बखान! 
सबका मत बस एक ही है, 
ऋता ( जी) गुणों की खान !! 🥰
== रचना बजाज
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हमारी सर्वगुण सम्पन्न हरफन मौला ऋता जी के प्रति मेरे उदगार । 

ऋता शारदा का तुम्हें, मिला खूब वरदान 
धन्य हुए पाकर तुम्हें ,अद्भुत गुण की खान । 

== साधना वैद 
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रच रच दोहा छन्द नित, सबका किया बखान|
अजब गज़ब यह रूपसी, लगती नन्ही जान ||
नन्ही जान शरीर से मन की शक्ति अपार |
वाणी सा सुन्दर सृजन, नेह कुशल व्यवहार ||
== गिरिजा कुलश्रेष्ठ
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कविता की कल कल सरिता सी
नित नई लहर ले आती हैं दी 
सूक्ष्म शब्द ,अर्थ विस्तृत हैं लिए आनन्द अपार ,
ऋता लिखूं या ऋचा मैं उनको 
नेह भेंट करें स्वीकार 🙏💐🙂
मैंने दी को कोरोना काल में बराबर पढ़ा कि कितने नियमानुसार,अनुशासित रहकर उन्होंने धीरज से सब संभाला ।
पहले कुछ हायकू लिखे थे मैंने ,सिखाने के लिए ,स्नेहपूर्वक उनमें सुधार के लिए हमेशा उपस्थित रही दीदी ।
== रश्मि कुच्छल
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हर विधा को साध ले, निभाये नियम सब साथ,
सुंदर निपुण निष्ठावान, ये कर्तव्यनिष्ठ अपार।
== शिखा वार्ष्णेय
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धुन की पक्की
--अर्चना चावजी
***************************
अद्भुत हैं अनमोल हैं, गुण भी अपरम्पार ।
इनके हर-इक शब्द में, प्यार भरा उपहार।।
@Rita दी ये दोहा आपके लिए हमारी तरफ से सादर सप्रेम भेंट 😍😘🤗🙏
== संध्या शर्मा 
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हमें दोहे लिखने नहीं आते पर प्रयास किया है ऋता जी के लिए प्यार सहित-
सहज सरल मनभावनी, सभी गुणों की खान।
देखन में छोटी लगें, करतीं बड़े कमाल ।।
== उषा किरण
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23 टिप्‍पणियां:

  1. वाह…खूब आनन्द आया था …हमने भी तो आपके ऊपर दोहा लिखा था वो कहाँ है ?

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  2. सबके लिए 👏👏👏,
    सब ज्ञान के भंडार यहां ,मिलजुल करते विचार।
    भिन्न,भिन्न है भाषा बोली,मन से जुड़े सबके तार ।।
    गाते बस शौक भर सब हैं,बहाना है व्यवहार
    ऋता ने लिखे दोहे सब पर,अद्भुत और दमदार।

    आपका टास्क बेहद रचनात्मक था। बहुत मजा आया सबको 👌👍

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  3. बहुत सुन्दर .... सटीक दोहे लिखे ..... सबसे और उनकी खासियत से परिचय हुआ . अब हम ग्रुप में नहीं हैं तो हमारा परिचय तो देने से रहीं .....

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  4. बहुत सुन्दर आयोजन. ऋता की बुद्धिमत्ता और सक्रियता कि परिणाम.

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. बहुत मज़ेदार आयोजन किया था ऋता दी ने
    सबके लिए प्यारे - प्यारे दोहे लिखे और सबने उनके लिए भी लिखे ... रोज की पहेली का इंतज़ार भी ख़ूब रहता था और उसपर सबकी प्रतिक्रिया भी ख़ूब रस भरी ... हमेशा याद रहेगा

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  7. वाह वाह ! बहुत ही सुन्दर सटीक सार्थक दोहे ! लग रहा है सब सखियों से आज मुलाक़ात हो गयी !

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    1. बहुत खूबसूरत और सुरीले सुरों से मन के दरवाजे पर दस्तक हुई झांक कर देखा तो वो राग अनुराग के मोह के धागों से हमें बांध ले गई।

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  8. बहुत ही अच्छे दिन थे जब दीदी रोज एक दोहा बूझतीं ❤️इतनी गुण की खान कि क्या ही कहो🙏

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