सावधान...कहीं कुछ चीजें चुपके से प्रवेश तो नहीं कर रहीं...
सहेज रही थी फूल काँटा चुभा चुपके से
आने को थी बहार पतझड़ घुसा चुपके से
खुशियाँ दामन में भर सबको देने चली थी
अँखियों से दो मोती चू पड़े थे चुपके से
जीवन की राह को समतल बनाया जतन से
चलते चलते इक खाई आ गई चुपके से
सरल सहज बातें चाशनी में पगी होती
कब किस बात पे रंजिशें आ गईं चुपके से
सहयोग सम्मान की नींव पर बसता है घर
स्वार्थ की चिड़िया ने खोदा इसे चुपके से
ऐ विषादों, हमने तुम्हें बुलाया नहीं था
किस संकरे रास्ते से घुसी तुम चुपके से
सहयोग सम्मान की नींव पर बसता है घर
स्वार्थ की चिड़िया ने खोदा इसे चुपके से
ऐ विषादों, हमने तुम्हें बुलाया नहीं था
किस संकरे रास्ते से घुसी तुम चुपके से
इस भवकूप में दिल बहुत घबड़ाता है प्रभु
है इन्तेज़ार कि मौत आ जाए चुपके से
ऋता शेखर ‘मधु’
वाह !!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गज़ल ऋता जी....
दाद कबूल करें
सस्नेह
अनु
अच्छी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर ||
सहयोग सम्मान की नींव पर बसता है घर
जवाब देंहटाएंस्वार्थ की चिड़िया ने खोदा इसे चुपके से
ऐ विषादों, हमने तुम्हें बुलाया नहीं था
किस संकरे रास्ते से घुसी तुम चुपके से
बिल्कुल सच ... ये सब चुपके से ही आते हैं ... बेहतरीन
ऐ विषादों, हमने तुम्हें बुलाया नहीं था
जवाब देंहटाएंकिस संकरे रास्ते से घुसी तुम चुपके से... पता तक नहीं चलता , हतप्रभ हम और धीरे धीरे सुनामी की भयंकरता सामने
सहयोग सम्मान की नींव पर बसता है घर
जवाब देंहटाएंस्वार्थ की चिड़िया ने खोदा इसे चुपके से...सच कहा कुछ दर्द हमारी जिन्दगी में चुपके से ही आते है..बहुत सुन्दर गजल..बधाई ऋता..
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं |
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राजेश दी...बहुत बहुत आभार !!
हटाएंसहयोग सम्मान की नींव पर बसता है घर
जवाब देंहटाएंस्वार्थ की चिड़िया ने खोदा इसे चुपके से,,,,,
बहुत सुंदर गजल,,,,,,
RECENT POST...: दोहे,,,,
आपने गज़ल के माध्यम से जीवन में चुपके से घुसने वाले हर दर्द का वर्णन बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है| आपके गज़ल ने ह्रदय को छू लिया|
जवाब देंहटाएंइस भवकूप में दिल बहुत घबड़ाता है प्रभु
है इन्तेज़ार कि मौत आ जाए चुपके से
किन्तु इस अन्तिम गज़ल के भाव से मैं सहमत नहीं हूँ|
हिम्मते मर्दा मददे खुदा|
ओह ..इन सब से बचना ही बेहतर .....
जवाब देंहटाएंसरल सहज बातें चाशनी में पगी होती
जवाब देंहटाएंकब किस बात पे रंजिशें आ गईं चुपके से...
खूबसूरत शेरों से सजी ... लाजवाब गज़ल है पूरी की पूरी ... वाह आनंद आ गोया ..
न जाने कितनी चीज़ें चुपके से प्रवेश कर जाती हैं .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उद्गार हृदय के ...सच मे चुपके से अनयास ही जो होता है ....है तो जीवन का हिस्सा वो भी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
शुभकामनायें.
चर्चामंच-(936)पर इस पोस्ट के लिए दी गई टिप्पणी
जवाब देंहटाएंSushil – (July 10, 2012 11:45 AM)
33 मधुर गुंजन
सावधान...कहीं कुछ चीजें चुपके से प्रवेश तो नहीं कर रहीं
ऋता शेखर 'मधु'
खूबसूरत !!
चुपके चुपके कुछ भी ले आईये दे जाइये
पर कम से कम मौत को तो ना बुलाईये।
आभार !!!
kya khoobsurat gazal hai didi...maza aa gaya :)
जवाब देंहटाएं