ऋतुराज को आना पड़ा है – हरिगीतिका छंद
फिर वाटिका चहकी खुशी से,खिल उठे परिजात
हैं।
मदहोशियाँ फैलीं फ़िजाँ में, शोखियाँ दिन रात हैं।।
मदहोशियाँ फैलीं फ़िजाँ में, शोखियाँ दिन रात हैं।।
मीठी बयारों की छुअन से, पल्लवित हर पात
है ।
ना शीत है ना ही तपन है, बौर की शुरुआत है।।
ना शीत है ना ही तपन है, बौर की शुरुआत है।।
मौसम सुहाना कह रहा है, कोकिलों, चहको जरा।
परिधान फूलों के पहनकर, ऐ धरा! महको ज़रा।२।
परिधान फूलों के पहनकर, ऐ धरा! महको ज़रा।२।
हुड़दंग गलियों में मचा है, टोलियों के शोर
हैं।
क्या खूब होली का समाँ है, मस्तियाँ हर ओर हैं।।
क्या खूब होली का समाँ है, मस्तियाँ हर ओर हैं।।
पकवान थालों में सजे हैं, मालपूए संग
हैं।
नव वर्ष का स्वागत करें हम,फागुनी रस रंग है।३।
नव वर्ष का स्वागत करें हम,फागुनी रस रंग है।३।
:- ऋता शेखर 'मधु'
नव कलियों ने घूंघट खोले ,भंवरों ने गुंजार किया.
जवाब देंहटाएंपदापर्ण से फाल्गुन के ,धरती ने श्रृंगार किया.
आपकी कविताएँ मन को एक अजीब सी कसक से भर देती हैं.कुछ बड़ी शिध्हत से याद आने लगता है ,पर क्या याद आता है कुछ पता नहीं.इस कारण टीस और बढ जाती है.
बढ़िया रचना ...
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
बहुत सुन्दर ऋता जी....
जवाब देंहटाएंप्यारी सी रचना...
हरिगीतिका छंद लिखने के कुछ नियम हैं क्या???याने मात्राओं/शब्दों/पंक्तियों कि कोई बंदिश???
सस्नेह
अनु
अनु जी,
हटाएंहरिगीतिका के कुछ नियम हैं...
यह चार पंक्तियों में लिखी जाती है...हर पंक्ति मे दो चरण होते हैं|
प्रथम चरण में सोलह मात्राएँ...तथा दूसरे चरण में बारह मात्राएँ होती हैं
ये मात्राएँ एक लय में होती हैं|
सस्नेह
आज फिर हरिगीतिका छंद देख इस पोस्ट को खोजती आई हूँ...अपने प्रश्न का जवाब पाने को.
हटाएं:-)
शुक्रिया ऋता जी.
सस्नेह
अनु
चहकती सी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत सी प्रस्तुति...... ऋता !शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमौसम सुहाना कह रहा है, कोकिलों, चहको जरा।
जवाब देंहटाएंपरिधान फूलों के पहनकर, ऐ धरा! महको ज़रा।...
वाह ऋतुराज जब आते हैं पूरा काफिला साथ लाते हैं ... आगमन का सन्देश पहले से ही देने कगते हैं ... लाजवाब रचना ...
मीठी बयारों की छुअन से, पल्लवित हर पात है ।
जवाब देंहटाएंना शीत है ना ही तपन है, बौर की शुरुआत है।।
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
मनभावन भावमय बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
ऋतुराज के आगमन का बहुत ही मनोहारी दृश्य पेश किया है|
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हरिगीतिका छंद...
बहुत सुंदर रचना .... ऋतुराज को आने में तो वक़्त है अभी :):)
जवाब देंहटाएं:):):)...लिख लिया था इसलिए पोस्ट कर दियाः)
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं(अरुन शर्मा = arunsblog.in)
बढ़िया रचना .
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