मंगलवार, 17 जुलाई 2012

ऋतुराज को आना पड़ा है


ऋतुराज को आना पड़ा है हरिगीतिका छंद





फिर वाटिका चहकी खुशी से,खिल उठे परिजात हैं।
मदहोशियाँ फैलीं फ़िजाँ में, शोखियाँ दिन रात हैं।।
बारात भँवरों की सजी है, तितलियों के साथ में।
ऋतुराज को आना पड़ा है, बात है कुछ बात में ।१।  

मीठी बयारों की छुअन से, पल्लवित हर पात है ।
ना शीत है ना ही तपन है, बौर की शुरुआत है।।
मौसम सुहाना कह रहा है, कोकिलों, चहको जरा।
परिधान फूलों के पहनकर, ऐ धरा! महको ज़रा।२।
हुड़दंग गलियों में मचा है, टोलियों के शोर हैं।
क्या खूब होली का समाँ है, मस्तियाँ हर ओर हैं।।
पकवान थालों में सजे हैं, मालपूए संग हैं।
नव वर्ष का स्वागत करें हम,फागुनी रस रंग है।३।

:- ऋता शेखर 'मधु'

15 टिप्‍पणियां:

  1. नव कलियों ने घूंघट खोले ,भंवरों ने गुंजार किया.
    पदापर्ण से फाल्गुन के ,धरती ने श्रृंगार किया.
    आपकी कविताएँ मन को एक अजीब सी कसक से भर देती हैं.कुछ बड़ी शिध्हत से याद आने लगता है ,पर क्या याद आता है कुछ पता नहीं.इस कारण टीस और बढ जाती है.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर ऋता जी....
    प्यारी सी रचना...
    हरिगीतिका छंद लिखने के कुछ नियम हैं क्या???याने मात्राओं/शब्दों/पंक्तियों कि कोई बंदिश???

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनु जी,
      हरिगीतिका के कुछ नियम हैं...
      यह चार पंक्तियों में लिखी जाती है...हर पंक्ति मे दो चरण होते हैं|
      प्रथम चरण में सोलह मात्राएँ...तथा दूसरे चरण में बारह मात्राएँ होती हैं
      ये मात्राएँ एक लय में होती हैं|
      सस्नेह

      हटाएं
    2. आज फिर हरिगीतिका छंद देख इस पोस्ट को खोजती आई हूँ...अपने प्रश्न का जवाब पाने को.
      :-)
      शुक्रिया ऋता जी.
      सस्नेह
      अनु

      हटाएं
  3. बहुत खुबसूरत सी प्रस्तुति...... ऋता !शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. मौसम सुहाना कह रहा है, कोकिलों, चहको जरा।
    परिधान फूलों के पहनकर, ऐ धरा! महको ज़रा।...

    वाह ऋतुराज जब आते हैं पूरा काफिला साथ लाते हैं ... आगमन का सन्देश पहले से ही देने कगते हैं ... लाजवाब रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  5. मीठी बयारों की छुअन से, पल्लवित हर पात है ।
    ना शीत है ना ही तपन है, बौर की शुरुआत है।।

    बेहतरीन पंक्तियाँ

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. ऋतुराज के आगमन का बहुत ही मनोहारी दृश्य पेश किया है|
    बेहतरीन हरिगीतिका छंद...

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर रचना .... ऋतुराज को आने में तो वक़्त है अभी :):)

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर प्रस्तुति
    (अरुन शर्मा = arunsblog.in)

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है...कृपया इससे वंचित न करें...आभार !!!