40.
राखी के त्यौहार में
,भाई आया द्वार
अँखियों में आई चमक,
खुशियाँ मिली अपार
खुशियाँ मिली अपार,
सजे अक्षत और रोली
रेशम धागा बाँध,
बहन दिल से खुश हो ली
भरती हैं आशीष,
हरिक धागे में पाखी
हर सावन में भ्रात,
पिरोऊंगीं मैं राखी
39.
मिलकर एक- एक रहें,
ग्यारह बने महान
पूर्ण करें हर काम
को, लेते जब वे ठान
लेते जब वे ठान,
कैद कर लेते धारा
मरु कर जाते पार,
रहे थार रहे सहारा
रेशा रेशा सूत,
वस्त्र बन जाते सिलकर
होता बल का भान,
रहें एक एक मिलकर
38.
किलकारी रौशन रहे,
ऐसा बने प्रयास
बालक हो या बालिका,
सबको मिले मिठास
सबको मिले मिठास,
सृष्टि को दोनों प्यारे
दें कन्या को मान,
हर्ष से हक़ दें सारे
पाकर पानी खाद,
महक जाती फुलवारी
सम पालन की रीत,
रखे रौशन किलकारी
37.
सावन की आई झड़ी,
घर में आया तीज
हुलसा मन खिलते सुमन,
चहका है दहलीज़
चहका है दहलीज़,
हरी कलाइयाँ खनकी
शोभित है परिधान,
बिंदिया मुख पर चमकी
होती पूजा आज,
पार्वती शिव पावन की
कजरी गाए बूँद,
झड़ी आई सावन की
36.
गरिमा संसद की रहे,
परिभाषित हो देश
रखना जनसेवक वहाँ,
अनुशासित परिवेश
अनुशासित परिवेश,
वतन का मान बढ़ाता
हंगामा आक्षेप,
हँसी का पात्र बनाता
सुष्मित रहे स्वराज,
बढ़े भारत की महिमा
सद्भावी माहौल,
रखे संसद की गरिमा
35.
भरता सूरज लालिमा,
प्राची में हर भोर
जग जाते इंसान खग,
शोर मचाते ढोर
शोर मचाते ढोर ,कृषक खेतों में जाते
बैलों की थामे डोर,
उमंगित होकर गाते
धरती का नैराश्य,
अरुण उषा संग हरता
पूरब में हर भोर,
लालिमा सूरज भरता
34.
चल री पवन उड़ा ध्वज़ा,बढ़ा गगन की शान
केसर- श्वेत- चक्र-
हरा, जगा रहे अरमान
जगा रहे अरमान ,
हिन्द हो जग में न्यारा
मिटे रंक की भूख,
धर्म हो सबका प्यारा
भारत माँ की गोद,
शुभ्र ज्योत्स्ना तू पल री
कुसुमित हो जा आज,
फहर जाने को चल री
**ऋता शेखर 'मधु'
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