गंगा की धारा
वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि
बह्मा –कमण्डल से उत्सर्जित
चरण-स्पर्श श्रीविष्णु के करती
विष्णुपदी धारा देवसरिता की|
प्रचण्ड भीषण हिमशीतल
गंगोत्री गोमुख है उद्गम-स्थल
शिव की जटाओं में नाचती
पावन पवित्र धारा भागीरथी की |
भगीरथ प्रयास को सराहती
उग्र वेग को संभालती उतरती
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को धरा पर आती
पतितपावनी धारा जाह्नवी की |
पंचप्रयाग से मचलती बहती
शिवालिक की गोद में खेलती
हरिद्वार को सुपावन करती
पापनशिनी धारा अलकनंदा की|
तीर्थराज प्रयाग से गुजरती
शिवनगरी से दिशा बदलती
कृषि क्षेत्र मगध को पखारती
शांत सरल धारा मंदाकिनी की|
भीष्म की जननी है गंगा
सर्वरोगविनाशिनी है गंगा
माताओं की गोद भरी रखती
सौभाग्यदायिनी धारा गंगामाता की|
साठ सहस्र सगर पुत्रों को
मुनि-शाप से मुक्त कराने आई
पितृणों को मुक्ति देने वाली
मोक्षदायिनी धारा पुण्यसलिला की |
विषाक्त तत्वों को समेटती
मानव सृजित गंदगी बटोरती
नि:शब्द हाहाकार करती
कलिमलहरणी धारा पद्मगंगा की|
सुन्दरवन में सह-नदियों के संग
हिन्द महासागर में विलीन होती
अनन्त यात्रा को निकल जाती
कल्याणकारी धारा गंगा सागर की|
सौभाग्यशाली हैं हम भारतवर्ष प्यारा देश है हमारा |
यहाँ ज्ञान विज्ञान परमज्ञान है और है गंगा की धारा ||
ॠता शेखर ‘मधु’
विषाक्त तत्वों को समेटती
जवाब देंहटाएंमानव सृजित गंदगी बटोरती
नि:शब्द हाहाकार करती
कलिमलहरणी धारा पद्मगंगा की|
बहुत सुन्दर उपयोगी ...और गंगा को शुद्ध परिष्कृत रखने का आवाहन करती ...प्यारी रचना
सत्यम को अपना स्नेह प्रदान किया आभार आप का ...आइये बच्चों को खुश देखें ..प्यार बाँटें
भ्रमर ५
बहुत सुंदर!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंहर हर गंगे..........
सस्नेह.
कल 27/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुंदर प्रस्तुति .... गंगा जैसी बही मन मेंयह कविता
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ,गंगा के पावन स्नेह से सिंचित प्यारी पोस्ट बधाई।
जवाब देंहटाएंगंगा यात्रा का बहुत रोचक वर्णन....बहुत सार्थक और सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंइस पावन गंगा को उसी के जल का अर्घ्य देती हूँ .... ॐ नमः शिवाये
जवाब देंहटाएंविषाक्त तत्वों को समेटती
जवाब देंहटाएंमानव सृजित गंदगी बटोरती
नि:शब्द हाहाकार करती
कलिमलहरणी धारा पद्मगंगा की|
यही व्यथित करता है .....गंगा मैया को नमन
गंगा जैसी सुंदर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
विषाक्त तत्वों को समेटती
जवाब देंहटाएंमानव सृजित गंदगी बटोरती
निःशब्द हाहाकार करती
कलिमलहरणी धारा पद्मगंगा की।
पतित पावनी गंगा की सुंदर अभ्यर्थना।
बहुत रोचक वर्णन. बहुत सार्थक और सुंदर रचना.
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