बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

कविता




हर्ष बनती है कविता
विषाद बनती है कविता
ज़ुल्म सह-सह कर
आर्तनाद बनती है कविता|


अनुराग बनती है कविता
वैराग्य बनती है कविता
मौन मूक भाषा का
संवाद बनती है कविता|

त्याग बनती है कविता
बलिदान बनती है कविता
विग्रह में वतन की
पुकार बनती है कविता|

शोक बनती है कविता
क्षोभ बनती है कविता
शोषण के ख़िलाफ़
विरोध बनती है कविता|

अन्तर्द्वन्द बनती है कविता
स्वच्छन्द बनती है कविता
इज़हारे-मुहब्बत की
पसन्द बनती है कविता|

व्यथा बनती है कविता
कथा बनती है कविता
ग्रन्थ के पन्नों में
गाथा बनती है कविता|

प्रेरणा बनती है कविता
शुभकामना बनती है कविता
थके हारे पथिक की
सांत्वना बनती है कविता|

सम्मान बनती है कविता
आभार बनती है कविता
लय-छंद सजाकर
जयजयकार बनती है कविता|

ओर बनती है कविता
अंत बनती है कविता
कण-कण से निकलकर
अनन्त बनती है कविता||

ऋता शेखर 'मधु'

11 टिप्‍पणियां:

  1. लय से पुर्ण कविता की काव्यात्मक व्याख्या बहुत ही अच्छी लगी|

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  2. व्यथा बनती है कविता
    कथा बनती है कविता
    ग्रन्थ के पन्नों में
    गाथा बनती है कविता|.... kavita srijan ke her madhyam ko uker diya , bahut hi badhiyaa

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  3. बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति
    .....सादर अभिनन्दन
    एक छन्द मेरी ओर से-
    जन्म से मृत्यु तक की इतिहास बनती है कविता|

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  4. कण-कण से निकलकर
    अनन्त बनती है कविता||
    बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द लाजवाब है! शानदार प्रस्तुती!

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  5. वाह! बहुत सुन्दर एवं शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  6. बहुत खूब ...
    शुभकामनायें आपको !

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  7. ऋता जी कमाल की प्रस्तुति है आपकी.
    मधुरता का सुन्दर अहसास कराती हुई.
    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आप आयीं,इसके लिए भी आभार.

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  8. आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...कविता के बनने के सारे कारण उपस्थित कर दिए ..

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  9. प्रेरणा बनती है कविता
    शुभकामना बनती है कविता.
    बहुत खूब ...

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