2122 2122 2122 212
जो मिला वरदान में वह जन्म मालामाल कर|
मान रख ले तू समय का जिन्दगी संभाल कर ||१
ध्यान हो निज काम पर ही यह नियम रख ले सदा |
बात यह अच्छी नहीं तू बेवजह हड़ताल कर ||२
कर कहीं उपहास तो मनु जाँच ले अपना हृदय |
सामने उस ईश के तू क्यों खड़ा भ्रम पाल कर ||३
त्याग के ही भाव में संतोष का धन है छुपा |
सार गीता का समझकर मन मदन-गोपाल कर ||४
बाँध लेता प्राण को जब मोह का संसार यह |
शुद्ध पावन सद्-विचारी उच्च अपना भाल कर ||५
इस जगत में मान ले तू प्रेम है सबसे बड़ा |
हो न ममता साथ तो कब कौन होगा ढाल पर||६
काट कर वन, घर बसाया खग बिना घर के हुए |
पा गया तू क्या मनुज जब हैं न पंछी डाल पर ||७
@ ऋता शेखर ‘मधु’
वाह! बहुत ही सुंदर और सारगर्भित!!🌹
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय विश्वमोहन जी!
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय सुशील जी !
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणी ओंकार जी !
हटाएंकर कहीं उपहास तो मनु जाँच ले अपना हृदय |
जवाब देंहटाएंसामने उस ईश के तू क्यों खड़ा भ्रम पाल कर ||३
वाह!!!
बहुत ही उत्कृष्ट सारगर्भित एवं लाजवाब सृजन।
ध्यान हो निज काम पर ही यह नियम रख ले सदा |
जवाब देंहटाएंबात यह अच्छी नहीं तू बेवजह हड़ताल कर ||२
वाह! सभी भावपूर्ण और सुन्दर बंधों के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति ऋतु जी।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🌺🌺🌷🌷