बुधवार, 24 अगस्त 2022

सार गीता का समझकर मन मदन गोपाल कर

2122 2122 2122 212

जो मिला वरदान में वह जन्म मालामाल कर|
मान रख ले तू समय का जिन्दगी संभाल कर ||१

ध्यान हो निज काम पर ही यह नियम रख ले सदा |
बात यह अच्छी नहीं तू बेवजह हड़ताल कर ||२

कर कहीं उपहास तो मनु जाँच ले अपना हृदय |
सामने उस ईश के तू क्यों खड़ा भ्रम पाल कर ||३

त्याग के ही भाव में संतोष का धन है छुपा |
सार गीता का समझकर मन मदन-गोपाल कर ||४

बाँध लेता प्राण को जब मोह का संसार यह |
शुद्ध पावन सद्-विचारी उच्च अपना भाल कर ||५

इस जगत में मान ले तू प्रेम है सबसे बड़ा |
हो न ममता साथ तो कब कौन होगा ढाल पर||६

काट कर वन, घर बसाया खग बिना घर के हुए |
पा गया तू क्या मनुज जब हैं न पंछी डाल पर ||७

@ ऋता शेखर ‘मधु’

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! बहुत ही सुंदर और सारगर्भित!!🌹

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  2. कर कहीं उपहास तो मनु जाँच ले अपना हृदय |
    सामने उस ईश के तू क्यों खड़ा भ्रम पाल कर ||३
    वाह!!!
    बहुत ही उत्कृष्ट सारगर्भित एवं लाजवाब सृजन।

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  3. ध्यान हो निज काम पर ही यह नियम रख ले सदा |
    बात यह अच्छी नहीं तू बेवजह हड़ताल कर ||२
    वाह! सभी भावपूर्ण और सुन्दर बंधों के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति ऋतु जी।हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकार करें 🙏🌺🌺🌷🌷

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