रविवार, 13 जनवरी 2013

उस दीपक सी हो पावन तुम




इन मेघों की हो सावन तुम
इस बगिया की मनभावन तुम
जले रात्रि-मध्य देवालय में
उस दीपक सी हो पावन तुम

चंचल हवा सुहावन तुम
मीरा की वृंदावन तुम
इस रस्ते जो पतित हुए
हो करती उनको पावन तुम

प्राची किरण लुभावन तुम
प्रात: की सजावन तुम
मन जो मेरा डूब गया
उस सोच की हो प्लावन तुम...

...
..
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16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत प्यारी कविता....
    बावन अट्ठावन तुम :-)
    सस्नेह
    अनु

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  2. प्राची किरण लुभावन तुम
    प्रात: की सजावन तुम
    मन जो मेरा डूब गया
    उस सोच की हो प्लावन तुम...

    बहुत सुंदर ...उत्तम शाब्दिक अलंकरण लिए पंक्तियाँ

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  3. बहुत सुंदर भाव लिए कविता .... आभार यहाँ सांझा करने के लिए

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  4. ✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
    ♥सादर वंदे मातरम् !♥
    ♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿


    इन मेघों की हो सावन तुम
    इस बगिया की मनभावन तुम
    जले रात्रि-मध्य देवालय में
    उस दीपक सी हो पावन तुम

    अच्छी रचना है ...

    आदरणीया ऋता शेखर मधु जी
    आपने स्पष्टतः तो नहीं लिखा ,अनुमान ही है मेरा , कि यह रचना आपके सुपुत्र की है संभवतः ...
    बधाई है !
    प्रयास अच्छा है ...
    भाव बहुत सुंदर हैं रचना के ...
    शिल्प कसावट मांग रहा है ।
    सध जाएगा ...
    लिखते रहें … और श्रेष्ठ लिखते रहें …
    :)


    हार्दिक मंगलकामनाएं …
    लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !

    राजेन्द्र स्वर्णकार
    ✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿

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  5. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ....

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  6. लाजवाब कविता. सुंदर भाव.

    मकर संक्रांति व लोहड़ी की शुभकामनायें.

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  7. बहुत खूब ,,,
    काफी सुंदर पंक्तियाँ ...

    मंगल मकरसंक्रांति की शुभकामनाएँ !
    सादर !

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  8. चंचल हवा सुहावन तुम
    मीरा की वृंदावन तुम
    इस रस्ते जो पतित हुए
    हो करती उनको पावन तुम

    मृदुल शब्दों की मधुर गुंजन, वाह भई वाह !!!!!!!!

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  9. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति। निस्संदेह जिसने लिखा है, और जिसके लिए लिखा है, वो स्नेह लबालब छलक रहा है इस कविता में ..
    सादर
    मधुरेश

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  10. इस पावनता को जिसने देख लिया ,समझ लिया ......... वह समुद्र की गहराई को मन के अन्दर संजो लेता है - मेरा आशीष तुम्हारे इस पवन दृष्टिकोण को

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  11. बहुत ही प्यारी रचना ...बहुत बहुत शुभकामनाएं

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