दो आँखें
गहरी धुँध
सर्द हवाएँ
ठिठुरा बदन
सन्नाटे रास्ते...
धुँध के पीछे
चमक रहा था कुछ
कोई छुपा था
कौन है वो
आगे बढ़ी
धुँध के साथ
वह भी पीछे खिसका
कैसे देखूँ
धूप गहरायी
धुँध हल्की हुई
रुह पर चिपकी
दो आँखें चमक रही थीं
अनगिनत सवाल लिए
शायद कह रही थी
‘मैं तो अकेली थी
बहुत दर्द सहा, मगर
बच नहीं पाई
तुम लाखों में हो
मेरी बेचैन रुह को
अब भी बचा लो
इंसाफ़ दिला दो
इंसाफ़ दिला दो’
हाथ बढ़ाया कि
सहला दूँ उसके बालों को
पर यह क्या?
वह ग़ायब हो गई
उसे सांत्वना नहीं
सिर्फ़ और सिर्फ़
इंसाफ़ चाहिए था
दिन पूरी तरह चमकने लगा था
पर धुँध अब मन के अन्दर छाया था|
ऋता शेखर ‘मधु’
आँखों में बेचैनियाँ, काँप दर्द से जाय |
जवाब देंहटाएंसांत्वना से आपकी, नहीं रूह विलखाय |
नहीं रूह विलखाय, खाय ली देह हमारी |
लाखों लेख लिखाय, बचे पर अत्याचारी |
है भारत धिक्कार, रेप हों हर दिन लाखों |
मरें बेटियाँ रोज, देखते अपनी आँखों ||
lovely creation!
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका स्वागत हैः)
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंमन के भीतर छाई धुंध न जाने कब छंटेगी ...
गहन रचना..
सस्नेह
अनु
जाने कब इंसाफ मिलेगा और ये मन की धुंध हटेगी..
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना...
अति सुंदर कृति
जवाब देंहटाएं---
नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबढिया, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंक्या कहने
शुक्रिया रविकर सर !!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रदीप जी !!
जवाब देंहटाएंइन्साफ की पूरी उम्मीद भी है और बदलाव की आशा भी.. अब चुनौती हमारे युवा पीढ़ी पर है. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबस अब तो इंसाफ ही चाहिए .... संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंइंसाफ मांगती रचना.. सामयिक प्रसंग..
जवाब देंहटाएंअब बस इन्साफ ही चाहिए ... वो भी जल्दी चाहिए .. किसी को संघर्ष न करना पड़े ... तभी सार्थक है ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar..
जवाब देंहटाएंउसे सांत्वना नहीं
जवाब देंहटाएंसिर्फ़ और सिर्फ़
इंसाफ़ चाहिए था
बिल्कुल सच
sunder rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
यह धुंध मुझे गुम कर देती है ...
जवाब देंहटाएंउसे सांत्वना नहीं सिर्फ़ इंसाफ़ चाहिए,,,,सुंदर अभिव्यक्ति,,
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
उसे सांत्वना नहीं सिर्फ़ इंसाफ़ चाहिए,,,, जो उसे कभी भी नहीं मिलने वाला :((
जवाब देंहटाएंआपकी रचना ,अद्धभुत अभिव्यक्ति है !!
त्वरित न्याय ही समाधान है।
जवाब देंहटाएंसार्थक सामयिक कविता।
ढ़
--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस
मन की धुंध हटेगी..उम्मीद का दीया जलेगा ही..
जवाब देंहटाएं